विश्व मुक्केबाजी कप : साक्षी ने दिलाया पहला गोल्ड, जैस्मिन, नूपुर के भी स्वर्णिम पंच

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भारतीय मुक्केबाज साक्षी ने अस्ताना, कजाखिस्तान में आयोजित विश्व मुक्केबाजी कप में शानदार प्रदर्शन करते हुए महिलाओं के 54 किग्रा भार वर्ग में स्वर्ण पदक अपने नाम किया। वहीं साक्षी के बाद जैस्मिन (57 किग्रा) और नूपुर (80+ किग्रा) ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए अलग-अलग अंदाज में स्वर्ण पदक अपने नाम किए।

इसी के साथ भारतीय दल ने इस टूर्नामेंट में अब तक का सर्वश्रेष्ठ पदक प्रदर्शन दर्ज किया। महिलाओं के 54 किग्रा फाइनल में साक्षी ने अमेरिका की योसलाइन पेरेज के खिलाफ आक्रामक खेल दिखाते हुए सर्वसम्मत (5-0) निर्णय के साथ स्वर्ण पदक जीता।

वहीं, महिलाओं के 57 किग्रा वर्ग में जैस्मिन ने दबाव के बीच अपना संयम बनाए रखा और ब्राजील की जुसीलेन सेकेइरा रोमियो को 4-1 से हराकर जीत दर्ज की।

साक्षी, जैस्मिन और नूपुर के कमाल से भारत का ऐतिहासिक प्रदर्शन

इसके बाद नूपुर ने कज़ाखस्तान की येलदाना तालीपोवा को 80+ किग्रा फाइनल में 5-0 के निर्णायक अंतर से पराजित कर भारत को तीसरा स्वर्ण दिलाया।

दो बार की युवा विश्व चैंपियन साक्षी ने रविवार को खेले गए फाइनल मुकाबले में आक्रामक खेल दिखाते हुए अमेरिका की योसलाइन पेरेज को सर्वसम्मत फैसले में मात दी। इसी के साथ साक्षी ने इस टूर्नामेंट में भारत को पहला स्वर्ण पदक दिलाया।

विश्व मुक्केबाजी कप में भारतीय दल का प्रदर्शन अब तक काफी प्रभावशाली रहा है। भारत ने इस टूर्नामेंट में तीन स्वर्ण, पांच रजत व तीन कांस्य सहित 11 पदक जीते। भारत ने इससे पहले ब्राजील में पहले चरण में एक स्वर्ण और एक रजत सहित छह पदक जीते थे।

टूर्नामेंट के पहले सत्र में चार भारतीय मुक्केबाजों ने हिस्सा लिया था, जहां साक्षी ने अपनी रफ्तार और सटीक पंचों के दम पर बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए पोडियम पर पहला स्थान हासिल किया।

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हालांकि, अन्य भारतीय मुक्केबाजों को कुछ निराशा का सामना करना पड़ा। 48 किग्रा भार वर्ग के फाइनल में मीनाक्षी ने स्थानीय दावेदार नाजिम काइजाइबे को कड़ी टक्कर दी, लेकिन वह 2-3 के खंडित फैसले से चूक गईं और रजत पदक से संतोष करना पड़ा।

वहीं, पुरुषों के 85 किग्रा वर्ग में जुगनू को कजाकिस्तान के बेकजाद नूरदौलेटोव के खिलाफ 0-5 से हार का सामना करना पड़ा। महिला 80 किग्रा वर्ग में पूजा रानी को ऑस्ट्रेलिया की एसिटा फ्लिंट के खिलाफ भी इसी अंतर से हार मिली। दोनों मुक्केबाजों को रजत पदक से संतोष करना पड़ा।

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