लखनऊ। अपने यहां कहा जाता है,”जिसने जन्म दिया वही रोटी का भी इंतजाम करेगा”। यह ऊपरवाले पर मुकम्मल भरोसे के साथ इस बात की ओर भी संकेत करता है
कि अगर अपने इष्टदेवों से जुड़े स्थलों को सजा सवार दिया जाय। वहां आने वाले पर्यटकों की सुरक्षा एवं सुविधा के मद्देनजर बुनियादी सुविधाएं विकसित कर दी जाएं तो वहां भारी संख्या में रोजी रोजगार के अवसर स्थानीय और आसपास के लोगों को उपलब्ध होते हैं। यह राम को रोटी को जोड़ने जैसा है।
प्रयाग, शिव की काशी,चित्रकूट समेत अन्य धार्मिक स्थलों में भी रोजगार के अवसर बढ़े
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसे सच साबित कर दिया। आज शिव की अविनाशी काशी और राम की अयोध्या पर्यटकों की आमद के मद्देनजर यहां के लाखों लोगों की रोजी-रोटी का जरिया बन गए हैं। कमोबेश यही स्थिति अन्य तीर्थ स्थलों की भी है। तीरथराज प्रयाग में आयोजित महाकुंभ में तो इसका चरमोत्कर्ष दिखा।
सरकार का अनुमान था कि करीब डेढ़ महीने तक चलने वाले विश्व के इस सबसे बड़े धार्मिक समागम में करीब 35 से 40 करोड़ श्रद्धालु एवं पर्यटक शामिल होंगे, पर शामिल हुए 66 करोड़ से अधिक लोग।
इनमें से बहुतों की मंजिल सिर्फ प्रयागराज ही नहीं, काशी, अयोध्या, वनगमन के दौरान जहां भाई लक्ष्मण और पत्नी सीता सहित राम को निषादराज ने जहां उनको गंगा पार कराया था वह श्रृंगवेरपुर और वनगमन के दौरान राम ने मंदाकिनी के तट पर जिस चित्रकूट में सर्वाधिक समय गुजारा था, वह भी थी।
धार्मिक-आध्यात्मिक पर्यटन ने खोले यूपी के लिए संभावनाओं के नए द्वार
कई लोगों ने विंध्याचल स्थित मां जगदंबा के दरबार में भी हाजिरी लगाई। अब एक पर्यटक ने औसतन इस दौरान कितना खर्च किया। इस खर्च का कितना कितना लाभ इस सेक्टर्स से जुड़े स्टेकहोल्डर्स और स्थानीय लोगों को मिला।
केंद्र और राज्य सरकार के हिस्से में प्रयागराज के महाकुंभ और काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर और राममंदिर एवं अयोध्या के कायाकल्प पर हुए खर्च की तुलना में कितना लाभ हुआ, यह अर्थशास्त्र के जानकारों के लिए अनुमान विषय है।
पर, यह निर्विवाद सच है कि पर्यटकों एवं श्रद्धालुओं की बढ़ती आमद से लाभ में सब रहे। साथ ही इसने उत्तर प्रदेश के लिए संभावनाओं का एक नया और बड़ा दरवाजा खोल दिया।
क्योंकि, बहुसंख्यक समाज के रोम रोम में बसने वाले राम की अयोध्या, तीनों लोकों से न्यारी शिव की काशी और राधा कृष्ण की जन्म भूमि, ग्वाल बालों और गोपियों के साथ लीला के स्थल ब्रज उत्तर प्रदेश में है। इन सभी जगहों की संभावनाओं के मद्देनजर योगी सरकार यहां आने वालों की सुरक्षा और सुविधा के लिहाज से लगातार काम भी कर रही है।
तीन साल से घरेलू पर्यटकों के आमद के हिसाब से यूपी देश में नंबर वन
इसका नतीजा है कि पर्यटकों की आमद के हिसाब से उत्तर प्रदेश लगातार नए रिकॉर्ड बना रहा है। 2022 से ही घरेलू पर्यटकों के लिहाज से उत्तर प्रदेश देश में नंबर एक पर बना हुआ है।
सरकार के आंकड़ों पर गौर करें तो 2017 में उत्तर प्रदेश में आने वाले पर्यटकों की संख्या मात्र 24 करोड़ थी, जो 2024 में बढ़कर 65 करोड़ हो गई। आठ वर्षों में 41 करोड़ की यह वृद्धि खुद में अभूतपूर्व है। स्वाभाविक है कि महाकुंभ के नाते 2025 एक नया रिकॉर्ड रचेगा। यह संख्या एक अरब का ऊपर तक जा सकती है।
पंजाब, हरियाणा और दिल्ली चैंबर ऑफ कॉमर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में 60 फीसद से अधिक घेरलू यात्राएं धार्मिक स्थलों की होती हैं। धार्मिक पर्यटन आर्थिक उन्नति और सांस्कृतिक आदान-प्रदान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
धार्मिक पर्यटन की संभावनाओं का अधिकतम लाभ लेने के लिए ऐसी सभी जगहों को बेहतरीन बुनियादी सुविधाओं, सड़क और एयर कनेक्टिविटी, आने वालों की सुरक्षा और सेवा देनी होती है। यह सारा काम उत्तर प्रदेश सरकार पूरी संजीदगी से कर रही है।
आठ वर्षों की मेहनत का नतीजा है पर्यटन क्षेत्र का ये उभार
यह सब यूं ही नहीं हुआ। इसकी पृष्ठभूमि मार्च 2017 में जब योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने तभी से शुरू हो गई थी। तब अयोध्या जाना तो दूर की बात, कोई नेता अयोध्या का नाम तक नहीं लेना चाहता था उस अयोध्या में वह बार बार गए। हर बार उन्होंने अयोध्या को विकास की बड़ी सौगात दी।
दीपावली के एक दिन पूर्व भव्य दीपोत्सव आयोजन कराया। इससे एक बार फिर देश-दुनिया में राम को मानने वालों का ध्यान अयोध्या की ओर गया।
राम मंदिर के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने और मंदिर का शिलान्यास होने के बाद तो केंद्र की मोदी और प्रदेश की योगी सरकार ने अयोध्या के कायाकल्प के लिए खजाने का मुंह खोल दिया।
मुख्यमंत्री की मंशा अयोध्या की दुनिया की सबसे खूबसूरत पर्यटन नगरी बनाने की है। इसे वे कई बार सार्वजनिक मंचों से भी कह चुके हैं। उसी मंशा के अनुरूप अयोध्या में लगातार काम भी हो रहे है। काशी, प्रयाग, ब्रज क्षेत्र पर भी उनका इसी तरह फोकस है।
पूरा हुआ राम को रोटी से जोड़ने का संकल्प
उल्लेखनीय है कि राम और रोटी का रिश्ता अटूट है। दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। राम मंदिर आंदोलन को धार देकर भाजपा ने इसे सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का सबसे प्रमुख एजेंडा बनाया।
करीब 500 वर्षों के लंबे संघर्ष के बाद जब राम मंदिर आंदोलन के बारे में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया और अयोध्या में राम जन्मभूमि पर रामलला के भव्य मंदिर का निर्माण शुरू हुआ तो केंद्र और उत्तर प्रदेश में भाजपा ही सत्ता में रही।
सोने पर सुहागा यह कि इस समय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री गोरखपुर स्थित गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ थे। यह वह पीठ है जिसका राम मंदिर आंदोलन से वास्ता करीब 100 वर्षों का है। योगी के दादागुरु ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ, गुरु ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ और खुद योगी आदित्यनाथ राम मंदिर आंदोलन के हर महत्वपूर्ण घटना के समय मौजूद रहे।
ऐसे में जनमानस के मन में यह बैठ गया है कि अयोध्या में श्रीराम को फिर से पुनर्स्थापित करने का काम भाजपा ने किया। इस काम में गोरक्षपीठ की अहम भूमिका रही।
बतौर पीठ के पीठाधीश्वर एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ न केवल इस कसौटी पर खरे उतरे, बल्कि काशी, मथुरा, प्रयागराज सहित अन्य धार्मिक स्थलों के नियोजित विकास से अपने पद एवं दायित्व के अनुसार उसे विस्तार भी दिया। यह सिलसिला अभी जारी है।