सूरत: गुजरात के मानव ठक्कर ने जब 2005 में पहली बार टेबल टेनिस रैकेट थामा था, तो वह मुश्किल से छह साल के थे और टेबल जितने ऊंचा भी नहीं थे। फिर भी, उन्होंने सूरत स्थित सुफैज एकेडमी में दाखिला लिया, जो तब एक छोटा तहखाना था।
तानों से विचलित हुए बिना मानव ने जल्दी ही इस खेल में महारत हासिल कर ली। वह प्रतिभाशाली और दृढ़ निश्चयी थे, लिहाजा वह पांच साल से भी कम समय में एक आकर्षक यात्रा के लिए तैयार थे।
36वें नेशनल गेम्स में उम्दा प्रदर्शन पर फोकस
कुछ समय में ही, उन्होंने जूनियर कैटेगरी और फिर अंडर-21 में दुनिया का नंबर एक खिलाड़ी बनकर इस खेल के विशेषज्ञों को आश्चर्य में डाल दिया।
अभी भी दुबला-पतला और चश्मा पहनने वाला यह 22 वर्षीय खिलाड़ी मंगलवार को अपने अपने दोस्तों और परिवार के समक्ष अपने कौशल का प्रदर्शन करने की उम्मीद कर रहा होगा, जब वह घरेलू मैदान पर 20 सितंबर को 36वें नेशनल गेम्स में अपने अभियान की शुरुआत करेगा।
हां, यह सबसे आश्चर्य की बात है कि मानव पहली बार सूरत में किसी बड़े टूर्नामेंट में भाग लेने जा रहा है। एशियन गेम्स 2018 में ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाली टीम का हिस्सा रहे मानव ने कहा, “यह सच है। यहां पर यह मेरे लिए पहला बड़ा आयोजन है और मैं अपना सर्वश्रेष्ठ दूंगा।
हमारे पास एक अच्छी टीम है और हमें अच्छा प्रदर्शन करने का भरोसा है।” मानव, जिनके पिता विकास एक नेत्र रोग विशेषज्ञ हैं, स्वीकार करते हैं कि चिकित्सा के आगे खेल कैरियर का चयन करना एक साहसिक फैसला था, जो इतना आसान नहीं था।
उन्होंने खुलासा किया, “मैं 11 साल का था जब मैंने घर छोड़ा था। मुझे घर की याद आ रही थी और मुझे घर का खाना याद आता था। लेकिन जब मैंने अच्छा परफॉर्म करना शुरू किया तो चीजें बेहतर हो गईं। आज, मेरे परिवार के सभी सदस्य खुश हैं कि मैंने अपने सपने का पीछा किया।”
वर्ल्ड जूनियर चैम्पियनशिप के लिए क्वालीफाई करने वाले गुजरात के एकमात्र पैडलर मानव के पास अपनी ‘मातृ संस्था’ की यादें हैं और जब भी वह घर आते हैं तो उसी 15×30 फीट बेसमेंट रूम में अपने कोच वाहेद मालूभाईवाला के साथ ट्रेनिंग जारी रखते हैं।
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मानव ने कहा, “उस छोटे से कमरे से बहुत सारी भावनाएँ जुड़ी हुई हैं, जहाँ मैंने पहली बार खेलना सीखा था। मेरा अपने पहले कोच वाहेद सर के साथ बहुत ज्यादा जुड़ाव है और मुझे उनके साथ अभ्यास करना अच्छा लगता है।”
मानव ठक्कर ने कोविड महामारी के कारण हुए लॉकडाउन के दौरान इस सुविधा का इस्तेमाल फिटनेस बरकरार रखने के लिए किया। आईओसीएल ग्रेड ए1 अधिकारी ने कहा, “मेरा घर सूफैज एकडमी के बहुत करीब है। मैंने 45 दिनों तक बिना रुके रोजाना 4-5 घंटे अभ्यास किया। इससे मुझे खेल के संपर्क में रहने और फिट रहने में मदद मिली।”
मालूभाईवाला भी अपने शिष्य की प्रगति को देखकर खुश हैं। उन्होंने “मानव को जीवन में इतना अच्छा करते देखना खुशी की बात है। वह अच्छी ट्रेनिंग ले रहा है और अच्छा प्रदर्शन कर रहा है।
मुझे और मेरे परिवार को इस बात पर गर्व है कि मानव उस छोटे से कमरे में वापस आता रहता है, जहां से यह सब शुरू हुआ था।” मानव और उनके सभी समर्थक उम्मीद कर रहे होंगे कि उनके गृहनगर में होने वाले नेशनल गेम्स के साथ कुछ और खास की नई यात्रा शुरू होगी।