सफलता का अर्थ अपने कार्य से मन में खुशी एवं संतोष होना : डॉ. शचि

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लखनऊ। सीएसआईआर-एनबीआरआई, लखनऊ में मंगलवार को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस समारोह का आयोजन किया गया| इस अवसर पर मुख्य अतिथि समाज सेविका डॉ. शचि सिंह, संस्थापक, एहसास (एनजीओ) ने रेलवे प्लेटफॉर्मों पर बेसहारा बच्चों के साथ अपने अनुभवों को बताया कि रेलवे प्लेटफॉर्म पर एक अलग ही दुनिया बसती है।

सीएसआईआर-एनबीआरआई में मनाया गया अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 

इसका एहसास हमको कम ही हो पता है। यहाँ बेसहारा बच्चों की एक भीड़ होती है जो कूड़ा उठाने, सामान बेचने से लेकर भीख मांगने में व्यस्त रहती है। इनमें से अधिकांश ऐसे होते हैं जो घरों से भाग कर आए होते हैं और धीरे धीरे इस अंधेरी दुनिया में खो जाते हैं।

आज हम अपने आस पास देखें तो हमें इनमें 13 वर्ष से अधिक उम्र की लड़कियां देखने को नहीं मिलतीं, वे या तो घरों में काम करने लगती हैं। दूसरी ओर उनकी कम उम्र में शादी भी हो जाती है या बुरी नजरो का निशाना बन कर जीवन भर अंधेरे में खो जाती हैं।

उन्होने कहा कि आज आवश्यकता है कि इन समस्याओं के आकड़ों में न पड़कर अपने स्तर पर स्थिति को बदलने की हर छोटी से छोटी कोशिश की जाय। उन्होने युवा लड़कियों को सफलता के सूत्र भी दिये और कहा कि सफलता का अर्थ अपने कार्य से मन में खुशी एवं संतोष होना है।

इसके लिए आवश्यक है कि स्वयं को स्त्री/पुरुष से ऊपर उठाकर एक अच्छा इंसान बनाने के लिए स्वयं पर कार्य किया जाय, अन्तर्मन की आवाज सुनी जाय, अपने एहसासों को समझा जाय, भयमुक्त होकर ईमानदार तरीके से अपना कार्य किया जाए, प्रेमी एवं दयालु बना जाय एवं हमेशा अपने अंदर की शक्ति पर विश्वास रखा जाए।

मुख्य अतिथि का स्वागत करते हुये प्रो बारिक ने कहा कि भारत एक ऐसा देश है जहां नारी के विभिन्न देवी स्वरूपों की पूजा अर्चना की जाती है वहीं दूसरी ओर वास्तविक जीवन में अभी भी इन मूल्यों को अपनाने से हम अभी दूर हैं। जब तक हम महिलाओं को सार्वजनिक जीवन में वैसा ही सम्मान नहीं देते इन दिवसों को मनाने का कोई औचित्य नहीं बनाता ।

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उन्होने सीएसआईआर-एनबीआरआई की महिला कर्मियों को बताया कि महिलाएं कार्य स्थल की ज़िम्मेदारी उठाने के साथ साथ घर-परिवार, बच्चों,  एवं पति की भी जिम्मेदारियाँ संभालती हैं। अतः पुरुष सहकर्मियों को चाहिए कि इस स्थिति को समझ कर ही महिला कर्मियों के विषय में कोई विचार रखे एवं निर्णय लें।

वहीं महिला कर्मियों का भी आवाहन किया कि वह अपनी जिम्मेदारियों को और भी निष्ठा पूर्वक पूर्ण करें। कार्यक्रम की रूपरेखा बताते हुए डॉ. विधु साने, वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक ने बताया कि एक समय ये दिन राजनीतिक विरोध के लिए मनाया जाता था लेकिन समय के साथ अब इसे उन महिलाओं के संघर्षों का सम्मान करने के लिए मनाया जाने लगा है।

इन्होंने अपने कार्यों एवं प्रयासों से विश्व पटल पर अपनी एक अलग पहचान बनाई। समारोह के अंत में डॉ. मेहर आसिफ़, प्रधान वैज्ञानिक ने धन्यवाद् ज्ञापन प्रस्तुत किया इस अवसर पर संस्थान में कार्यरत महिला वैज्ञानिक एवं अन्य कर्मचारी उपस्थित थे।

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