लोक एवं जनजाति कलाकारों ने पेश किए प्रदेश की लोक संस्कृतियों के मनमोहक रंग

0
328

लखनऊ। आजादी का अमृत महोत्सव श्रृंखला के अंतर्गत लोक जनजाति कला एवं संस्कृति संस्थान लखनऊ और यूपी जैन विद्या शोध संस्थान लखनऊ व अयोध्या शोध संस्थान लखनऊ की ओर से विश्व नृत्य दिवस के अवसर पर ‘आजादी के सबरंग- लोक एवं जनजाति कलाकारों के संग’ शीर्षक समारोह का आयोजन हुआ।

आजादी का अमृत महोत्सव : ‘आजादी के सबरंग- लोक एवं जनजाति कलाकारों के संग’ कार्यक्रम

कार्यक्रम का आयोजन गोमती नगर स्थित उ.प्र. जैन विद्या शोध संस्थान के सभागार में हुआ। कार्यक्रम का उदघाटन अतिथियों ने दीप प्रज्जवलन कर किया। कार्यक्रम में लोक एवं जनजाति कलाकारों ने उत्तर प्रदेश की लोक संस्कृतियों के मनमोहक रंग पेश किये।

इस अवसर पर दिन में बच्चों की ‘भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के भूले-बिसरे नायक’ विषयक निबंध प्रतियोगिता और आजादी के नायकों पर आधारित चित्रकला प्रतियोगिता हुई। जिसमें छात्र-छात्राओं ने खूब उत्साह दिखाया।  कार्यक्रम की शुरुआत लखनऊ की कलाकार सपना ने अवधी लोक गायकी व नृत्य से की।

लोक जनजाति कला एवं संस्कृति संस्थान की ओर से आयोजन

उन्होंने अपनी प्रस्तुति से अवध की संस्कृति से रूबरू कराया। पारंपरिक अवधी गायन, नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति से पूरा वातावरण अवधमय कर दिया। इसके बाद प्रयागराज से आये यागराज के गुरमुरा गांव के लोक कलाकार वेदानंद विश्वकर्मा व साथी कलाकारों ने डोमकच लोक नृत्य पेश किया तो सभागार तालियों से गूंज उठा।

उन्होंने बताया कि सोनभद्र जिले में घसिया जाति के आदिवासियों के डोमकच लोक नृत्य वैवाहिक अनुष्ठानों पर किये जाने की परंपरा है। डोमकच नित्य रात में अगहन से आषाढ़ मास तक किया जाता है। जिसमें सींग,डफला, टइया, झुनझुना, शहनाई, मांदर, डफलची, मांदर दुर्लभ वाद्य यंत्रों का वादन किया जाता है।

ये भी पढ़े : चार साल की बच्ची के साथ 55 साल की दादी-नानी ने भी किया डांस 

गाये जाने वाले गीतों को सादरी  के गीत कहते हैं। फूलकुमारी, इंद्रावती, चंपा, सिमित्री, प्रमिला, राम, मूरत, कृपाल और राहुल सहित अन्य कलाकारों ने नृत्य, गायन वादन की मनमोहक प्रस्तुति दी। सोनभद्र से आये जनजातीय लोकनृत्य कलाकारों ने सिंघा लोकनृत्य से खूब प्रभावित किया।

लोक कलाकार सुरतिया ने अपने 14 साथी कलाकारों के दल के साथ दुर्लभ वाद्य यंत्रों के वादन और पारंपरिक रंग पेश किये। जिसमें टइयां, शहनाई, झुनझुना, बारहसिंघा वाद्य यंत्रों की धजनों से आनंदित कर दिया।

पारंपरिक शैली और थारू होली के रंग

पीलीभीत से आये लोक कलाकार बंटी सिंह राणा व साथी कलाकारों ने पारंपरिक थारू होली नृत्य कर पूरा सभागार होलीमय कर दिया। उनके साथ रिंकू राना, किरन राना, बंधन, अंजू, मुस्कान, शिक्षा, त्रिनेत्र सहित अन्य कलाकारों ने लोक संगीत व नृत्य से आनंदित कर दिया। कार्यक्रम का संचालन अलका निवेदन ने किया।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here