बच्चे पढ़ाई के साथ पक्षियों के दाना-पानी की कर रहे चिंता, सीख रहे सेवा का पाठ

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लखनऊ। नर्सरी क्लास की वाणी शर्मा, प्राइमरी सेक्शन के हृषिकेश और श्रेयांश अपने कोमल हाथों से स्कूल परिसर में रखे मिट्टी के बर्तनों में चिड़ियों के लिए रोज पानी भरते हैं। ये तीनों ही नहीं प्राइमरी सेक्शन के जितने भी बच्चे हैं सब बारी-बारी प्रत्येक दिन पक्षियों को दाना-पानी देने की व्यवस्था करते हैं।

भटक रहे जीवों की मदद करने और पेड़-पौधों का जीवन बचाने का सीख रहे गुर

गौरैया स्कूल परिसर में भी चहचहाए यही इन बच्चों की कोशिश है। इनको यह शिक्षा कहीं और से नहीं स्कूल की टीचरों से ही मिली है। हम बात कर रहे हैँ गोमतीनगर स्थित श्री राम ग्लोबल स्कूल की। यहां स्कूल के टीचर बच्चों में ऐसे सपने को नई उड़ान देकर उनको आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं।

श्री राम ग्लोबल प्रबंधन नन्हें-मुन्हों को कर्तव्यों के प्रति कर रहा जागरूक

बच्चों में पशु-पक्षियों के पानी और भोजन की व्यवस्था करना उनकी आदत में शुमार हो चुका है। इनमें से कई बच्चे स्कूल गेट पर आवारा पशुओं के खाने के लिए ब्रेड और बिस्कुट भी डालते नजर आ जाते हैं। कोई भूखा न सोये चाहे इंसान हो या जानवर यह इनके टीचर इनको सिखा रहे हैं।

कुछ इसी तरह से श्री राम ग्लोबल स्कूल के बच्चे सामाजिक सरोकारों से जुड़ने में सफल हो रहे हैं। इनके टीचर इनको पढ़ाने के साथ-साथ यह भी बता रहे हैं कि पॉलीथीन का प्रयोग नहीं करना है। जल को बचाना हमारा कर्तव्य है।

स्कूल के बच्चों का भविष्य को गढऩे के साथ-साथ उन्हें सामाजिक सरोकार से जोडऩे के लिए पूरी निष्ठा और लगन के साथ जुटा स्कूल का प्रबंधन यह चाहता है कि उनके स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे अपने कर्तव्यों को भी अभी से जानने लगें हैं। जिससे उनको अपने जीवन में आगे बढ़ने को मौका भी मिले और वो पर्यावरण के साथ-साथ जीव-जन्तुओं की चिंता भी करते रहें।

नन्हें-मुन्हों में सेवा कार्य करने की इच्छा को विकसित करने और उनको कर्तव्यों का बोध कराने के लिए श्री राम ग्लोबल स्कूल प्रबंधन सामाजिक सरोकारों को सिखाने की पाठशाला भी चला रहा है। पढ़ाई के बाद बच्चों को सेवा के गुर सिखाए जाते हैं।

अन्य स्कूलों से हटकर किया जा रहा यह प्रयास नन्हें-मुन्हों को जीवन में कामयाबी दिलाने में बड़ी भूमिका निभाने वाला है। अभी से इन बच्चों में अपने बड़ों का सम्मान करने, बुजुर्गों की सेवा करने का भाव तो आ ही रहा है साथ में जीव-जन्तुओं, पेड़-पौधों से भी उनका प्यार बढ़ रहा है।

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स्कूल प्रबंधन की ओर से नन्हें-मुन्हों को खेल-खेल में पेड़-पौधों से जीवन के लिए मिलने वाली ऑक्सीजन और उसके लिए इनको बचाने के प्रयास सिखाए जाते हैं। स्कूल की डायरेक्टर ऑफ ऑपरेशन्स पलक सिंह का कहना है कि इन गुणों का विकास होने से यह बच्चे भविष्य में पर्यावरण को बचाने में बड़ी भूमिका निभाने के लिए तैयार रहेंगे।

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