अपनी तकनीकों से लोगों का जीवन बदल रहा सीएसआईआर : डॉ.एन कलैसेलवी

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लखनऊ: सीएसआईआर-केन्द्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सीएसआईआर-सीमैप) के लखनऊ स्थित मुख्यालय में सीएसआईआर के ‘एक सप्ताह, एक प्रयोगशाला‘ कार्यक्रम के अंतर्गत शुक्रवार को वैज्ञानिक, उद्यमियों एवं, किसानों के लिए संगोष्ठी आयोजित की गयी.

सीमैप में सीएसआईआर के ‘एक सप्ताह, एक प्रयोगशाला‘ कार्यक्रम में संगोष्ठी आयोजित 

मुख्य अतिथि डॉ.एन.कलैसेलवी (महानिदेशक एवं सचिव सीएसआईआर, डीएसआईआर) ने चन्दन के पौधे का रोपण, “सुगंधित फसलों से आवश्यक तेल निशकर्षण के लिए बहुक्रियाशील मोबाइल सौर आसवन इकाई, किसान ड्रोन, सीएसआईआर-यूपी समन्वय केंद्र, तथा “पादप कार्यात्मक जीनोमिक्स एवं जीनोम एडिटिंग हेतु उन्नत ग्लासहाउस सुविधा“ का उदघाटन किया।

इस अवसर पर सीएसआईआर-सीमैप निदेशक डॉ प्रबोध कुमार त्रिवेदी ने डॉ.एन.कलैसेलवी का स्वागत खस का पुष्प गुच्छ, जैकेट, अंगवस्त्र, व ‘एक सप्ताह, एक प्रयोगशाला‘ का स्मृतिचिन्ह देकर किया।

डॉ त्रिवेदी ने बताया कि इस वैज्ञानिक, उद्दमि, एवं, किसान संगोष्ठी के आयोजन का मुख्य उद्देश्य यह है कि सीएसआईआर-सीमैप मे हो रहे नित नए शोधों को जनमानस तक पहुंचाने का एक सुलभ माध्यम बने।

डॉ कलैसेलवी ने अपने सम्बोधन में औषधीय एवं सगंध पौधों के उत्पादन में सीमैप की भूमिका की प्रशंसा करते हुए कहा कि सीएसआईआर-सीमैप द्वारा आयोजित इस मेले में किसानों को सीमैप में विकसित औस कृषि प्रौद्योगिकी जनमानस को उपलब्ध करायी जा रही हैं, जिनकी खेती से किसानों की आय में पहले की तुलना में कई गुना वृद्धि हो रही है।

उन्होंने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि देश की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने मे किसान रीढ़ की तरह काम करते हैं। लखनऊ में स्थित सीएसआईआर की चार प्रयोगशालाओं  व सीएसआईआर की अन्य सभी प्रयोगशालाओं द्वारा हर प्रकार से मदद का आश्वासन दिया।

मुख्य अतिथि द्वारा कुछ रिलीजेस जिसमे- मेंथा पिपरिटा की नव विकसित प्रजाति सिम-सुरस, जिसमें 70 प्रतिशत से भी ज्यादा मेन्थोल घटक पाया जाता है, रूम फ्रेश्नर हर्बल वेपोराइजर ‘एरो-क्लीन’ तथा पूर्वोत्तर राज्यों के किसानों को सगंध पौधों की जानकारी के लिए “कल्टीवेशन, प्रोसेसिंग, एंड मार्केटिंग ऑफ सुटेबल एरोमेटिक क्रॉप्स फॉर नॉर्थ-ईस्टर्न रीजन्स ऑफ इंडिया” नामक पुस्तिका का भी विमोचन किया।

कार्यक्रम के बाद मुख्य अतिथि ने किसानों को मेंथा एवं जेरेनियम की उन्नत प्रजातियों की पौध सामग्री वितरित की गयी। सीएसआईआर-सीमैप एवं उत्तराखंड स्टेट काउंसिल फॉर साइन्स एंड टेकनोलोजी के मध्य एक समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किए गए। इस समझौते द्वारा अरोमा मिशन की गतिविधियों को उत्तराखंड के दूरदराज के क्षेत्रों तक पहुचाया जा सकेगा।

इसके साथ ही सीएसआईआर-सीमैप एवं पिरेन्स जनसेवा फ़ाउंडेशन शिरडी के मध्य सम्झौता हुआ, जिसके अंतर्गत अपशिष्ट पदार्थों से बनी सुगंधित पेंसिल का विमोचन किया गया तथा सीएसआईआर-सेमैप और मेघालय सरकार के मध्य सैनिटरी नैप्किन तकनीकी हस्तांतरण किया गया।

सीएसआईआर अरोमा मिशन की उपलब्धियों को दर्शाती हुई एक डॉक्युमेंट्री का भी विमोचन किया गया। इस अवसर पर पिरेन्स फ़ाउंडेशन से शालिनी ताई और रूपाली लौंडे, मेघालय गवर्नमेंट की तरफ से डॉ हाईजीना व श्री वारजिरि, एवं यूकोस्ट से डॉ डीपी उनियाल शामिल थे।

सीएसआईआर महानिदेशक ने देशभर से आए हुए किसान, उद्दमी, उद्दमी महिलाये, लघुउद्योग, व अरोमा मिशन लाभार्थियों के साथ बातचीत की, एवं उनके अनुभवों, सुझावों व समस्याओं को सुना।

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अंतिम चरण में सीएसआईआर महानिदेशक ने सीएसआईआर प्रयोगशालाओं सीमैप, सीडीआरआई, आईआईटीआर, एनबीआरआई, के वैज्ञानिकों, प्रशासनिक अधिकारियों, व शोधार्थीयों को आपस में तालमेल रखकर देशहित में कार्य करने की अपील की।

आज के इस विशेष कार्यक्रम में डॉ राधा रंगराजन निदेशक सीडीआरआई, डॉ भास्कर नारायण निदेशक आईआईटीआर, डॉ अजीत शासने निदेशक एनबीआरआई, डॉ विभा मल्होत्रा, डॉ एम पी दारोकर, डॉ गुरिंदरजीत रंधावा भी शामिल थे।

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