2029-30 तक रक्षा निर्यात 50,000 करोड़ रुपये तक पहुंचेगा : राजनाथ सिंह

0
188

नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विकसित भारत के स्वप्न को साकार करने के लिए भारतीय युवाओं से स्वदेशी रूप से ऐसी उच्च-स्तरीय प्रौद्योगिकियों के विकास का आह्वान किया, जिनका देश आयात करता है।

वे शनिवार को कानपुर में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के 65वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित कर रहे थे। रक्षा मंत्री ने कहा कि आज हर क्षेत्र में तेजी से हो रहे बदलावों के पीछे सबसे बड़ा कारण ‘प्रौद्योगिकी’ ही है।

जहां देश वर्तमान भू-राजनीतिक परिदृश्य में बढ़त हासिल करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी विशिष्ट तकनीक में महारत हासिल करने के उद्देश्य से प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं।

आईआईटी कानपुर, डीपीएसयू और अन्य हितधारकों के बीच समझौता ज्ञापन

अपनी बातों को और विस्तार देते हुए उन्होंने बताया कि तकनीकी विकास के आधार पर पूरे विश्व में देशों के तीन समूह हैं – पहला उन्नत प्रौद्योगिकी के मामले में शिखर पर है; दूसरा स्थिर अवस्था में पहुंच गया है और तीसरा तकनीकी उन्नति के चरण में है।

राजनाथ सिंह ने भारत को तीसरे समूह में रखते हुए कहा कि हमारा देश तकनीकी की प्रगति में शीर्ष स्थान की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने उच्च-स्तरीय तकनीक पर पकड़ बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया और उत्साही युवाओं से अपनी क्षमता का दोहन करने तथा देश की प्रगति में योगदान देने का आग्रह किया।

उन्होंने आईआईटी कानपुर जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों को अकादमिक इंजन बताया, जो वर्तमान प्रतिस्पर्धी माहौल में भारत को गतिशीलता प्रदान कर सकता है और उसे अग्रणी देशों की श्रेणी में खड़ा कर सकता है।

रक्षा मंत्री ने दुनिया भर जारी संघर्षों के बीच पूरे विश्व में रक्षा क्षेत्र के इकोसिस्टम में प्रौद्योगिकी की बढ़ती भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि ड्रोन, लेजर युद्ध, साइबर युद्ध, सटीक निर्देशित मिसाइलों और हाइपरसोनिक मिसाइलों के उपयोग ने युद्ध के परिप्रेक्ष्य को प्रौद्योगिकी-उन्मुख व्यवस्था में बदल दिया है।

आधुनिक समय में युद्ध में बढ़त हासिल करने के लिए अत्याधुनिक तकनीक आवश्यक 

उन्होंने कहा कि रक्षा क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भरता’ हासिल करने में सबसे बड़ी बाधा यह है कि हमें अपनी जरूरत की वस्तुओं हेतु आवश्यक कुछ उच्च-स्तरीय तकनीकों का आयात करने के लिए बाध्य होना पड़ता है।

श्री सिंह ने कहा युद्धक परिस्थितियों की बदलती प्रकृति को देखते हुए आधुनिक अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों के रक्षा अनुप्रयोग पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि भारत ने अपने युवाओं के बल पर 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने का सपना देखा है और हमें उस सपने को साकार करने के लिए पूरी ताकत लगा देनी चाहिए।

रक्षा मंत्री ने कहा कि एक कहावत है, ‘अगर आप तेजी से आगे बढ़ना चाहते हैं, तो अकेले चलें। अगर दूर जाना है तो साथ चलो।’ इसलिए हमें अपना लक्ष्य पाने के लिए मिलकर आगे जाना होगा।

रक्षा मंत्री ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता एवं नवाचार को बढ़ावा देने के लक्ष्य से सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का उल्लेख करते हुए रक्षा उत्कृष्टता के लिए नवाचार (आईडेक्स) पहल के बारे में बताया, जिसके तहत नवाचारियों तथा स्टार्ट-अप्स को 1.5 करोड़ रुपये का अनुदान दिया जाता है।

रक्षा मंत्री ने आईआईटी कानपुर के 65वें स्थापना दिवस पर युवाओं से आह्वान किया

उन्होंने कहा कि महत्वपूर्ण और रणनीतिक रक्षा प्रौद्योगिकियों में नवाचारों को बढ़ावा देने के लिए आईडेक्स के साथ नवीन प्रौद्योगिकियों के विकास में तेजी लाने हेतु (अदिति) एक योजना शुरू की गई है। जिसमें स्टार्ट-अप्स रक्षा प्रौद्योगिकी में अपने अनुसंधान, विकास और नवाचार प्रयासों के लिए 25 करोड़ रुपये तक की अनुदान सहायता प्राप्त करने के पात्र हैं।

राजनाथ सिंह ने कहा कि आत्मनिर्भरता हासिल करने के सरकार के प्रयास वांछित परिणाम दे रहे हैं क्योंकि रक्षा निर्यात, जो दस साल पहले सिर्फ 600 करोड़ रुपये था, वह अब वित्तीय वर्ष 2023-24 में 21,000 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड आंकड़े को पार कर गया है।

उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह प्रगति जारी रहेगी और 2029-30 तक रक्षा निर्यात 50,000 करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा।

रक्षा मंत्री ने कहा कि किसी प्रौद्योगिकी को इस्तेमाल में लाने हेतु तीन प्रमुख चरण शामिल होते हैं – विचार, अनुप्रयोग एवं उत्पादन और आईआईटी कानपुर जैसे संस्थान अपने विचारों के विकास से लेकर उत्पादों के निर्माण तक बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।

ये भी पढ़ें : रामचरितमानस पर आधारित भव्य झांकियों ने मोहा मन

ये भी पढ़ें : रामायण सांस्कृतिक केंद्र, कोराडी नया पर्यटन केंद्र बनने के लिए है तैयार

आईआईटी कानपुर ने इस समारोह के एक भाग के रूप में ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण के अनुरूप रक्षा नवाचार पर एक विशेष कार्यक्रम की मेजबानी की।

राजनाथ सिंह ने आईआईटी कानपुर में स्टार्ट-अप इनक्यूबेशन एंड इनोवेशन सेंटर (एसआईआईसी) द्वारा आयोजित रक्षा अनुसंधान, उत्पाद और इनक्यूबेशन शोकेस का दौरा किया।

जिसमें 23 एसआईआईसी-इनक्यूबेटेड स्टार्ट-अप्स के समाधानों को विशेष तौर पर दर्शाया गया व स्वायत्त प्रणालियों, एआई-संचालित निगरानी तथा अगली पीढ़ी के संचार उपकरणों की रक्षा प्रौद्योगिकी में प्रगति को प्रस्तुत किया गया।

रक्षा मंत्री ने प्रदर्शनी स्टालों पर स्टार्ट-अप संस्थापकों और अनुसंधान टीमों के साथ बातचीत की तथा राष्ट्रीय सुरक्षा बढ़ाने में उनके योगदान की सराहना की। इस अवसर पर कई समझौता ज्ञापनों पर भी हस्ताक्षर किए गए।

इनका लक्ष्य साझेदारी को मजबूत करना है। जिनमें सैन्य रसद और रक्षा नवाचार में प्रगति को बढ़ावा देने के लिए बीईएमएल तथा हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के साथ आईआईटी कानपुर का सहयोग व इनक्यूबेशन प्रयासों को मजबूत करने के लिए कानपुर विश्वविद्यालय के साथ साझेदारी शामिल है।

रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव तथा रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन के अध्यक्ष डॉ. समीर वी कामत ने छह परिवर्तनकारी डीआरडीओ परियोजनाओं के लिए स्वीकृति पत्र प्रस्तुत किए, जबकि आईडेक्स-वित्त पोषित स्टार्ट-अप हेतु सिडबी के विशेष प्रस्ताव ने आवश्यक वित्तपोषण सहायता को भी बढ़ावा दिया।

इस कार्यक्रम में देश की नवीनतम रक्षा गतिविधियां जैसे कि आईडेक्स की डिफेंस इंडिया स्टार्ट-अप चैलेंज 12 और अदिति 2.0 चैलेंज पर प्रमुख चर्चाएं भी शामिल थीं, जिससे उपस्थित लोगों को रक्षा नवाचार परिदृश्य में बहुमूल्य जानकारी मिली।

समारोह में सचिव (रक्षा उत्पादन) संजीव कुमार, रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव तथा रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन के अध्यक्ष डॉ. समीर वी कामत, आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रोफेसर मणिंद्र अग्रवाल, एसआईआईसी के प्रभारी प्रोफेसर प्रोफेसर दीपू फिलिप, संस्थान के विद्यार्थी तथा अनेक जाने-माने पूर्व छात्र शामिल हुए।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here