लखनऊ। गोपियों का विरह गीत संवेदना के उच्चतम शिखर को स्पर्श करता है। कृष्ण भक्ति के गीतों में संयोग और वियोग श्रृंगार के अद्भुत रस समाये हैं। ये गीत जीवन के विविध रंगों का दर्शन कराते हैं। शनिवार को लोक चौपाल में भक्ति भाव से पूरित चर्चा-परिचर्चा के दौरान ये बातें चौपाल चौधरी प्रो. कमला श्रीवातव ने कहीं।
लोक संस्कृति शोध संथान द्वारा इन्दिरा नगर स्थित ईश्वरधाम मन्दिर परिसर में आयोजित कार्यक्रम में लोक गायिका आशा श्रीवास्तव के निर्देशन में पचास से अधिक प्रतिभागियों ने भजनों की सामूहिक प्रस्तुति दी। शुभारम्भ पद्मश्री योगेश प्रवीन के लिखे गीत जय जय गणेश मंगलकारी तथा कहां छोड़ी मुरली कहां छोड़ी राधा से हुआ।
इसके बाद प्रेम नारायण मेहरोत्रा के लिखे गीत राम रस में डूब कर देखो तुम्हें भक्ति मिलेगी, कबीर के निर्गुन सुनता नहीं धुन की खबर अनहद का बाजा बाजता तथा कव्वाली अंग में अज्ञात रचनाकार की रचना तेरा नूर सबमें समाया हुआ है जैसे गीतों की मनमोहक प्रस्तुति हुई।
ढोलक पर सत्यम शिवम सुन्दरम सिंह, कीबोर्ड पर चन्द्रेश पाण्डेय ने संगत की। ज्योति किरन रतन, पूनम बिष्ट, भूषण अग्रवाल, मंजुल रायजादा आदि ने नृत्य प्रतुतियां दीं।
ये भी पढ़े : जन्माष्टमी और तीज गीतों से सजी चौपाल
प्रतिभागी कलाकारों में नीरा मिश्रा, आभा शुक्ला, संगीता खरे, निधि निगम, प्रीति श्रीवास्तव, सरोज श्रीवास्तव, कुमकुम मिश्रा, शकुन्तला श्रीवास्तव, अंबुज अग्रवाल, तुषार कान्ति भट्टाचार्य आदि प्रमुख रहे।
चौपाल चौधरी प्रो. कमला श्रीवास्तव एवं संस्थान की सचिव सुधा द्विवेदी ने गत दिनों हुए भक्ति संगीत कार्यशाला की निर्देशक आशा श्रीवास्तव का अभिनन्दन किया। संगीताचार्य गायत्री डेविड, शारदा पांडेय, अरुणा उपाध्याय, राजनारायण वर्मा, एस.पी.साहू, राजेश श्रीवातव, नीलम वर्मा, अंतरा आदि गणमान्य लोगों की उपस्थति रही।