लखनऊ। सीएसआईआर-केन्द्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सीमैप), लखनऊ में सिडबी के सहयोग से तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ सोमवार को किया गया। इस कार्यक्रम में देश के 10 राज्यों के 44 जनपदों से 64 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं ।
प्रशिक्षण कार्यक्रम का उदघाटन सीमैप के निदेशक डॉ.प्रबोध कुमार त्रिवेदी ने किया। उन्होंने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुये कहा कि सीएसआईआर-सीमैप की लगभग 62 वर्ष पूर्व इस उद्देश्य के साथ स्थापना हुई की।
यह संस्थान औषधीय एवं सगंध पौधों मे अनुसंधान एवं विकास कर नई-नई प्रजातियों का विकास करेगा तथा इन प्रजातियों को किसानों तक पहुंचाएगा जिससे किसान अधिक उपज प्राप्त कर सकें, तथा उद्योगों को कच्चा माल उपलब्ध हो सके। विश्व स्तरीय मांग को देखते हुए इनकी खेती को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
इसी क्रम में सीएसआईआर-सीमैप, लखनऊ के वैज्ञानिकों द्वारा किसानों के लिये औषधीय एवं सगंध पौधों की उन्नत प्रजातियाँ विकसित की गयी हैं जिनसे किसानों को अधिक पैदावार व लाभ मिलेगा। सीमैप एवं सहयोगी प्रयोगशालाओं के द्वारा चलाये जा रहे सीएसआईआर एरोमा मिशन के अन्तर्गत लगभग 2000 किसान क्लस्टर बनाए गए हैं।
इन क्लस्टर के किसानों द्वारा सगंधीय फसलों की खेती से वृहत रूप से जोड़ा गया है जिसके फलस्वरूप आज भारत नीबूघास व पामारोजा के तेल के उत्पादन में आत्मनिर्भर बन निर्यात करने की ओर अग्रसर है।
उन्होने आगे कहा कि अगले दो दिन चलने वाले इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में सीमैप के वैज्ञानिक आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण औषधीय एवं सगंध पौधों की खेती पर विस्तार से चर्चा करेंगे तथा साथ ही प्रसंस्करण एवं भंडारण की तकनीकियों पर भी चर्चा करेंगे जिससे किसानों के उत्पादन को राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर की गुणवत्ता को बनाया जा सके।
ये भी पढ़े : सीमैप में किसानों के लिए औषधीय एवं सगंध पौधों की खेती का प्रशिक्षण
इसके साथ् ही उसका अधिक तथा उचित मूल्य किसानों को मिल सकें। इन औषधीय एवं सगंध फसलों में मुख्यतः नीबूघास, पामारोजा, जिरेनियम, तुलसी इत्यादि हैं। वर्तमान में इनके तेलों की मांग विश्व बाज़ार में अधिक है।
डॉ. संजय कुमार, नोडल प्रशिक्षण कार्यक्रम व वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक ने संस्थान की गतिविधियों तथा प्रदत्त सेवाओं के बारें में प्रतिभागियों को जानकारी दी तथा भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) का वित्तीय सहयोग के लिए धन्यवाद भी किया।
प्रशिक्षण के पहले दिन डॉ.ऋषिकेश भिसे व दीपक कुमार वर्मा ने प्रतिभागियों को प्रक्षेत्र का भ्रमण कराया व पौधों की पहचान कराई। डॉ.संजय कुमार ने रोशाघास व नीबूघास के उत्पादन की उन्नत कृषि तकनीकी प्रतिभागियों से साझा की। डॉ.सौदान सिंह ने मेंथा के उत्पादन की उन्नत कृषि तकनीकी को प्रतिभागियों से साझा की।
डॉ.राजेश वर्मा ने जिरेनियम तथा खस की वैज्ञानिक खेती के बारें में प्रतिभागियों को जानकारी दी। डॉ. राम सुरेश शर्मा ने तुलसी के उत्पादन की उन्नत कृषि तकनीकी को प्रतिभागियों से साझा की। मनोज कुमार यादव ने जावाघास के उत्पादन की उन्नत कृषि तकनीकी को प्रतिभागियों के साथ साझा की।
कार्यक्रम का संचालन वैज्ञानिक डॉ.ऋषिकेश भिसे ने किया तथा डॉ.राम सुरेश शर्मा द्वारा धन्यवाद ज्ञापन किया गया। इस अवसर पर सीएसआईआर-सीमैप के विभिन्न वैज्ञानिक, तकनीकी अधिकारी व शोधार्थी आदि उपस्थित रहे ।