जयपुर : जयपुर के एसएमएस इंडोर स्टेडियम ने बुधवार को दृढ़ संकल्प के एक अनोखे उत्सव का गवाह बना, जब पद्मश्री डॉ. दीपा मलिक के नेतृत्व वाली व्हीलिंग हैप्पीनेस फ़ाउंडेशन ने कैप्री स्पोर्ट्स फ़ाउंडेशन के सहयोग से एक पैरा-एथलीट कबड्डी प्रदर्शनी मैच का आयोजन किया।
यह मैच दो जोशीली टीमों – पैरा धाकड़ और पैरा वॉरियरज़ – के बीच खेला गया। इसमें विभिन्न प्रकार की दिव्यांगताओं वाले पैरा-एथलीट्स शामिल थे, जिनमें हाथ (कलाई और कोहनी के ऊपर) और पैर (घुटने के ऊपर व नीचे) के अंग-विच्छेदन वाले खिलाड़ी तथा कमजोर अंगों वाले पोलियो सर्वाइवर्स थे।
प्रत्येक टीम में 12 खिलाड़ी थे, जिन्होंने मैट पर बेहतरीन कौशल का प्रदर्शन किया। दिन के महत्व को और बढ़ाते हुए, प्रो कबड्डी लीग की बंगाल वॉरियरज़ टीम के खिलाड़ी भी पैरा-एथलीट्स का उत्साह बढ़ाने पहुंचे, जिससे यह मुकाबला खेल भावना और एकजुटता का भावुक प्रदर्शन बन गया।
बंगाल वॉरियरज़ के कप्तान देवांक दलाल ने अपनी प्रेरणा व्यक्त की, “यह देखने के लिए एक बहुत ही शानदार मैच था, और मैं इन्हें असली हीरो मानता हूँ। उन्होंने जीवन में बहुत संघर्ष झेले हैं।
हमें अगर छोटी सी चोट भी लगती है, तो हम आराम कर लेते हैं, लेकिन ये अपने संघर्षों के बावजूद इतनी मेहनत कर रहे हैं और इतना अच्छा खेल रहे हैं। यह हमारे जैसे कबड्डी खिलाड़ियों के लिए बेहद प्रेरणादायक है।” पैरा-एथलीट्स के लिए यह अवसर ऐतिहासिक था।
विश्व पैरा एथलेटिक्स ग्रां प्री (नॉटविल, स्विट्ज़रलैंड) में पैरा एथलेटिक्स 100 मीटर के रजत पदक विजेता विकास कुमार ने पैरा-कबड्डी की प्रगति पर विचार साझा करते हुए कहा, “मैं पहले सामान्य पैरा-एथलेटिक्स में भाग लेता था, जब तक राजेश सर (कोच) और दीपा मैडम ने हमारे देश में पैरा-कबड्डी को आगे बढ़ाने के लिए मेहनत नहीं की थी।
“मेरे बहुत से साथी पैरा-एथलीट्स अब पैरा-कबड्डी में भी आ गए हैं। और अब, इतने बड़े मंच पर खेलना एक बेहद गर्व का क्षण है, खासकर क्योंकि अब पैरा-एथलीट्स को भी सक्षम खिलाड़ियों के समान सम्मान मिल रहा है,” उन्होंने आगे कहा।
कोच राजेश कुमार, भीम अवार्डी और एशियन पैरा गेम्स पदक विजेता (2010), ने इस तरह के मंच की अहमियत पर जोर देते हुए कहा, “हम पीकेएल को इस अवसर के लिए धन्यवाद देते हैं जो हमारे खिलाड़ियों को मिला है। यह हमारे पैरा-कबड्डी खिलाड़ियों को नई पहचान देगा।
यह उन एथलीट्स के लिए भी प्रेरणा बनेगा जो घर पर बैठकर हमें खेलते देख रहे हैं। “हमारे पैरा-कबड्डी खिलाड़ियों का भविष्य बहुत उज्ज्वल है, और अब पीकेएल की वजह से और भी बेहतर होगा।
हमें उम्मीद है कि आज की दोनों टीमों के खिलाड़ी भविष्य में अपना हुनर दिखाएंगे,” उन्होंने जोड़ा। खिलाड़ियों के लिए, पीकेएल के मैट पर खेलना किसी सपने के सच होने से कम नहीं था।
2021 में श्रीलंका में पैरा-कबड्डी स्वर्ण पदक विजेता सचिन टंडेल ने गर्व से कहा, “मैं 2018 से पैरा-कबड्डी खेल रहा हूँ। और आज हमें पीकेएल के मैट पर खेलने का जो मौका मिला – इस मंच पर पैरा-एथलीट्स का प्रतिनिधित्व करना – यह मेरे लिए बेहद गर्व का क्षण है।”
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