लखनऊ। हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के तत्वावधान में Post COVID-19 Complication & Care के अंतर्गत “निःशुल्क होम्योपैथिक परामर्श, निदान एवं दवा वितरण शिविर” का आयोजन, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के इंदिरा नगर सेक्टर – 25 स्थित कार्यालय में हुआ।
शिविर का शुभारम्भ अपर जिलाधिकारी, राजस्व विपिन मिश्रा, ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल तथा शिविर के परामर्शदाता चिकित्सक डॉ.संजय कुमार राणा ने दीपप्रज्वलन करके किया। अपर जिलाधिकारी, राजस्व विपिन मिश्रा ने कहा कि ऐसे शिविरों का जनहित में आयोजन होना वर्तमान समय में बहुत जरुरी है।
होम्योपैथी देश की बहुलवादी स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली का महत्वपूर्ण हिस्सा : हर्ष वर्धन अग्रवाल
जनहित में सामाजिक संगठनों के योगदान की महत्वपूर्ण भूमिका है। निराश्रित व समाज के पायदान पर खड़े अंतिम व्यक्ति तक सरकार की योजनाओं का लाभ पहुंचाने के लिए, सामाजिक संगठनों को सरकार के साथ बढ़चढ़कर अपना योगदान देना चाहिए।
श्री मिश्रा ने कहा कि, होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति अन्य चिकित्सा पद्धतियों के मुकाबले काफी कारगर है और होम्योपैथिक इलाज कम खर्चीला भी है, यदि प्रारंभिक समय पर कराया जाए। होम्योपैथिक दवा रोग को जड़ से समाप्त करती है और इसका कोई बहुत साइड इफेक्ट भी नहीं होता है।
इस अवसर पर ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल ने कहा कि, होम्योपैथी का मूल सिद्धांत है “सम: समम् शमयति” जिसका अर्थ है समान की समान से चिकित्सा अर्थात एक तत्व जिस रोग को पैदा करता है, वही उस रोग को दूर करने की क्षमता भी रखता है तथा होम्योपैथी इसी सिद्धांत पर आधारित एक चिकित्सीय प्रणाली हैl
होम्योपैथी दवाइयां रोगी का उपचार करने की एक ऐसी विधि है, जिसमें किसी स्वस्थ व्यक्ति में प्राकृतिक रोग का अनुरूपण करके समान लक्षण उत्पन्न किया जाता है, जिससे रोगग्रस्त व्यक्ति का उपचार किया जा सकता है l होम्योपैथी चिकित्सा प्रणाली भारत में लगभग दो सौ साल पहले आरंभ की गयी थी l
आज होम्योपैथी भारत की बहुलवादी स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है l भारत सरकार ने होम्योपैथी और आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्धा और सोवा रिग्पा, जिसे सामूहिक रूप से ‘आयुष’ के नाम से जाना जाता है, जैसे अन्य पारंपरिक प्रणालियों के विकास एवं प्रगति के लिए निरंतर प्रयास किए हैं l
उन्होंने कहा कि होम्योपैथी के साइड इफेक्ट्स काफी कम होते हैं l कभी-कभी ऐसा होता है कि किसी को बुखार की दवाई दी गई और उस व्यक्ति को लूज मोशन, उल्टी या स्किन पर ऐलर्जी हो जाए l दरअसल, ये परेशानी साइड इफेक्ट की वजह से नहीं है l ये होम्योपैथी के इलाज का हिस्सा है, लेकिन लोग इसे साइड इफेक्ट समझ लेते हैं l
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इस प्रक्रिया को ‘हीलिंग काइसिस’ कहते हैं जिसके द्वारा शरीर के जहरीले तत्व बाहर निकलते हैं l परामर्शदाता चिकित्सक डॉ1संजय कुमार राणा ने कहा कि होम्योपैथिक चिकित्सा प्रणाली हानि रहित होने के साथ-साथ रोगों को समूलता से खत्म करती है l होम्योपैथिक दवाओं से किसी भी प्रकार की ऐसेडिटी नहीं होती है l
होम्योपैथी दवाईयां बच्चों को भी जबरदस्ती खिलानी नहीं पड़ती, वह स्वयं मांगकर खाते हैं l होम्योपैथिक दवाएं बार-बार होने वाली बीमारी जैसे फीशर, फिस्चुला, पाईल्स, पथरी, पीलिया, टाइफाईड, साईनुसाइटिस, टांसिलाइटिस इत्यादि से छुटकारा दिला सकती है l
असाध्य बीमारियों जैसे प्रोस्टेट, गठिया, सोरियासिस, मोटापा, थायराईड, कैंसर, डायबिटीज आदि को भी होम्योपैथिक दवाएं साध्य बनाती है l होम्योपैथिक दवाईयां रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती हैं l होम्योपैथिक दवाईयों के सेवन से बढ़ती उम्र की बीमारियों को काफी हद तक रोका जा सकता है l
होम्योपैथी शिविर में विभिन्न बीमारियों जैसे कि, सीने में दर्द होना, भूख न लगना, सांस फूलना, ह्रदय व गुर्दे की बीमारी, मधुमेह , रक्तचाप, उलझन या घबराहट होना, पेट में दर्द होना, गले में दर्द होना, थकावट होना, पीलिया, थाइरोइड , बालों का झड़ना आदि से पीड़ित 66 रोगियों के वजन, रक्तचाप तथा मधुमेह की जांच की गयी l
डॉ.संजय कुमार राणा ने परामर्श के साथ निःशुल्क होम्योपैथी दवाएं भी दी। इसमें महिलाएं, पुरुष, बुजुर्गों तथा बच्चों सभी उम्र के लोगों ने होम्योपैथी परामर्श लिया l ज्यादातर मरीज त्वचा रोग और जोड़ों के दर्द की बीमारी से ग्रसित मिले।