महंत श्री चेतन रामजी महाराज ने विदेश में दिया योग और सनातन धर्म का संदेश

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पिछले 10 दिन से विदेशी धरती सिंगापुर, मलेशिया, हांगकांग, फिलीपींस, मोरिसस , पर सनातन की अलख जगाते हुए और योग के गुर सिखाते हुए संत श्री चेतन रामजी महाराज अपने प्रवचन के माध्यम से विदेश में बैठे सभी भारतियों को सनातन से जुड़े रहने और भगवत भक्ति से जीवन जीने की प्रेरणा दी। 

संत श्री चेतनराम जी महाराज ने बचपन से ही भक्ति और साधना का रुख अपना लिया था और 6 वर्ष उम्र से ही भक्ति के प्रति आरूढ़ होना और गो सेवा के प्रति अपना जीवन सर्वस्व अर्पण कर दिया, और अब जगह जगह भारत के कई राज्यों के अलावा भारत के बाहर विदेशी धरती पर भी भक्ति, गोसेवा, योग और सनातन का बिगुल बजा रहे है.

रात दिन जागकर गांव -गांव शहर -शहर जाकर जनमानस के कल्याण के लिए वो तत्पर रहते हैं, महाराज ने कहा कि भगवान हमें संत जीवन देता ह तो उसके साथ जिम्मेदारी भी देता है जो जन कल्याण के लिए होती हैं और इस धरती पर जन्म लेने वाले सभी जीव परमात्मा का ही अंश हैं।

प्रत्येक व्यक्ति को जीवन में कर्म करते हुए परमात्मा की भक्ति करना चाहिए। मोरिसस में हुए इंटरव्यू के दौरान उनहोने कहा ‘ सभी भक्तों को अपने आने वाली पीढ़ी को अध्यात्म से और सनातन संस्कृति से अवगत कराते रहना चाहिए। अपने बच्चो. को सनातन की सिख देते रहना चाहिए।

भारत का संत और सनातन धर्म ही आपको जागृति दे सकता है, वही आपको कुमार्ग से सन्मार्ग की ओर प्रेरित करेगा…क्यूकी संत के अंदर भक्ति होती है और जहां भक्ति होती है वहा दया अवश्य होती है, इसलिए संत को चिंता होने लगती है भारत के युवाओं को समय-समय पर जगाते रहना है।

जिससे उनका और आने वाली पीढ़ी का जीवन सुखमय और सात्विक बना रहे। इसलिए भारत का संत अपनी ध्यान साधना को छोड़ कर लोगों के बीच में आते हैं।

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