नई दिल्ली: भारतीय मुक्केबाज निकहत जरीन ने बुधवार को सनसनीखेज जीत के साथ तुर्की के शहर इस्तांबुल में जारी आईबीए महिला विश्व मुक्केबाजी के 12वें संस्करण के फाइनल में जगह बनाई लेकिन मनीषा और नवोदित परवीन ने सेमीफाइनल में हार के बाद कांस्य पदक के साथ अपने अभियान का समापन किया।
12वीं आईबीए महिला विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप
निजामाबाद (तेलंगाना) में जन्मी मुक्केबाज निकहत ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 52 किग्रा भार वर्ग के सेमीफाइनल मुकाबले में ब्राजील की कैरोलिन डी अल्मेडा के खिलाफ 5-0 से एकतरफा जीत हासिल की। दूसरी ओर, मनीषा (57 किग्रा) और परवीन (63 किग्रा) ने अपने सेमीफाइनल मैचों में सब झोंक कुछ दिया।
लेकिन वे क्रमशः 2020 ओलंपिक खेलों की कांस्य पदक विजेता इटली की इरमा टेस्टा और आयरलैंड की एमी ब्रॉडहर्स्ट के खिलाफ हार गईं। मनीषा को 0-5 से हार मिली जबकि परवीन 1-4 से हारीं।
निकहत की गुरुवार को फाइनल में थाईलैंड की जितपोंग जुतामास से टक्कर
अपना सिर्फ दूसरा विश्व चैंपियनशिप खेलते हुए निकहत गुरुवार को फ्लाईवेट फ़ाइनल में थाईलैंड की जितपोंग जुतामास के खिलाफ़ भिडेंगी औऱ जीत हासिल करते हुए स्वर्ण पदक अपने नाम करना चाहेंगी। जुतामास ने सेमीफाइनल में दो बार की विश्व चैंपियनशिप पदक विजेता अनुभवी कजाख मुक्केबाज ज़ैना शेकेरबेकोवा को 4-1 से हराया है।
भारत के लिए दिन के पहले मुकाबले में निकहत ने सावधान शुरुआत की, लेकिन जल्द ही अपना गियर बगला और मुक्कों की झड़ी लगाते हुए आक्रामक हो गईं। उनकी ब्राजीलियाई प्रतिद्वंद्वी को तकनीकी रूप से बेहतर 25 वर्षीय भारतीय के साथ तालमेल बिठाने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा। शुरुआती दो राउंड के बाद निकहत काफी अच्छी स्थिति में दिखीं।
एक बार बढ़त लेने के बाद पूर्व जूनियर युवा विश्व चैंपियन निकहत ने अंतिम राउंड में अपने पैरों और मुक्कों की गति को कम नहीं होने दिया। वह पूरी रफ्ताह से रिंग के चारों ओर घूमती रही औऱ ब्राजीली खिलाड़ी से दूरी बनाए रखते हुए सही समय पर कुछ सटीक मुक्के भी मारे।
फेदर वेट वर्ग में हालांकि मनीषा ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास किया, लेकिन इटली की अपनी मजबूत प्रतिद्वंद्वी का सामना नहीं कर पाईं। उनकी प्रतिद्वंद्वी आक्रामक खेल दिखाया और भारतीय को कोई मौका नहीं दिया।
दूसरी ओर, परवीन को अपनी विपक्षी खिलाड़ी के खिलाफ काफी अधिक शारीरिक मुकाबला खेलना पड़ा। परवीन को आयरिश मुक्केबाज से कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा। हरियाणा की इस युवा खिलाड़ी ने पहले राउंड में पिछ़ड़ने के बावजूद अच्छी तरह से वापसी की।
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2019 यूरोपीय चैंपियनशिप की कांस्य पदक विजेता ब्रॉडहर्स्ट ने हालांकि अंतिम राउंड में कमान संभाला एक बड़ी जीत हासिल करते हुए अपने डेब्यू पर बड़ा पदक जीतने की भारतीय खिलाड़ी के सपने को पूरा नहीं होने दिया।
इस टूर्नामेंट में इस साल दुनिया भर के 73 देशों के रिकॉर्ड 310 मुक्केबाज हिस्सा ले रहे हैं।20 मई तक चलने वाला इस साल का आयोजन आईबीए महिला विश्व चैंपियनशिप की 20वी वर्षगांठ का प्रतीक है।
आईबीए महिला विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप का पिछला संस्करण 2019 में रूस में आयोजित किया गया था। उस समय भारतीय मुक्केबाजों ने एक रजत और तीन कांस्य पदक जीते थे।
भारतीय खिलाड़ियों ने इस प्रतिष्ठित वैश्विक आयोजन के 11 संस्करणों में अब तक नौ स्वर्ण, आठ रजत और 19 कांस्य सहित 36 पदक हासिल किए हैं। रूस (60) और चीन (50) के बाद के नाम सबसे अधिक पदक हैं।