बेंगलुरु : प्रो कबड्डी लीग (PKL) सीजन 6 की चैंपियन बेंगलुरु बुल्स सीजन 12 में एक बार फिर प्रतिष्ठित PKL खिताब पर कब्जा जमाने की कोशिश करेगी, खासकर पिछले सीजन के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद।
सीजन 11 में केवल 22 मैचों से 19 अंक लेकर सबसे नीचे रहने के बाद, बुल्स ने अपने लंबे समय के मुख्य कोच रणधीर सिंह सेहरावत को पद से हटा दिया। रणधीर सिंह ने शुरुआती सीजन से बुल्स का नेतृत्व किया था और 11 में से 6 सीजन में टीम को प्लेऑफ तक पहुँचाया।
बुल्स की ताकत, कमजोरी, अवसर और खतरे जानें
अब दो बार PKL खिताब जीतने वाले कोच बीसी रमेश को बेंगलुरु स्थित इस टीम का नया मुख्य कोच नियुक्त किया गया है। बीसी रमेश 2018-19 की चैंपियनशिप जीत के दौरान बुल्स के सहायक कोच थे। वह अब बंगाल वॉरियर्स (सीजन 7) और पुनेरी पलटन (सीजन 10) को खिताब जिताने के बाद इस फ्रैंचाइज़ी में लौटे हैं।
नए कोच के नेतृत्व में, बुल्स ने PKL सीजन 12 की नीलामी में जमकर खरीदारी की और टीम में बड़ा बदलाव किया। उन्होंने 4.949 करोड़ रुपये खर्च कर 15 नए खिलाड़ी खरीदे, इसके अलावा 8 न्यू यंग प्लेयर्स (NYPs) को रिटेन किया।
ताकत
बुल्स की सबसे बड़ी ताकत उनकी मज़बूत डिफेंस यूनिट है। उन्होंने सीजन 12 की नीलामी में राइट कॉर्नर डिफेंडर योगेश दहिया को 1.125 करोड़ रुपये में खरीदा – जो PKL इतिहास के सबसे महंगे भारतीय डिफेंडर बन गए हैं। योगेश ने पिछले दो सीजन में 45 मैचों में 149 टैकल पॉइंट्स अर्जित किए हैं।
बुल्स ने बाएं कॉर्नर पर अनुभवी अंकुश राठी को उनके बेस प्राइस 30 लाख रुपये में खरीदा। उन्होंने सीजन 9 में डेब्यू करते ही ‘बेस्ट डिफेंडर’ का पुरस्कार जीता था और अब तक 69 मैचों में 227 टैकल पॉइंट्स ले चुके हैं।
इसके अलावा उन्होंने राइट कवर संजय धूल को 60 लाख और लेफ्ट कवर धीरज को 40.20 लाख रुपये में खरीदा।
टीम में लकी कुमार (राइट कवर), दीपक एस (लेफ्ट कॉर्नर), शुभम रहाटे (लेफ्ट कवर), मनीष और सत्यप्पा मट्टी (राइट कवर) जैसे युवा और होनहार डिफेंडर्स भी मौजूद हैं।
कमजोरी
जहाँ एक ओर उनकी डिफेंस मज़बूत नज़र आ रही है, वहीं रेडिंग यूनिट थोड़ी कमज़ोर दिखाई देती है। सीजन 12 की नीलामी से पहले बुल्स ने युवा रेडर्स पंकज और मंजीत को रिटेन किया। साथ ही न्यू यंग प्लेयर्स कैटेगरी से राइट रेडर आशिष मलिक को टीम में शामिल किया।
उन्होंने पुणेरी पलटन के लिए सीजन 9 में 139 रेड पॉइंट्स लेने वाले आकाश शिंदे को 53.10 लाख रुपये में खरीदा। हालांकि उनके पास 57 मैचों में 296 रेड पॉइंट्स का अनुभव है, लेकिन टीम में और कोई अनुभवी या स्थापित रेडर नहीं है।
पिराटी श्रीसिवतेजेश (लेफ्ट रेडर), गणेश बी. हनमंतगोल (राइट रेडर), शुभम बिटाके और महिपाल जैसे रेडर्स की उपस्थिति के बावजूद यह देखना बाकी है कि ये खिलाड़ी इस सीजन में कितना दम दिखा पाएंगे।
अवसर
लगातार दो सीजन में लीग स्टेज से बाहर होने के बाद, बुल्स अब बीसी रमेश जैसे अनुभवी कोच की अगुवाई में ट्रॉफी जीतने का सपना देख रहे हैं।
आकाश शिंदे को इस सीजन में बड़ा रोल मिल सकता है, और उनके पास खुद को एक प्रमुख रेडर के रूप में स्थापित करने का सुनहरा मौका होगा।
इसके अलावा, आशिष मलिक, धीरज, शुभम बिटाके, अलीरेज़ा मिर्ज़ाइयन और अहमदरेज़ा असगरी जैसे उभरते सितारों के लिए भी यह एक बेहतरीन मंच होगा अपनी प्रतिभा दिखाने का।
खतरे
बुल्स की टीम में इस बार कोई स्पष्ट और अनुभवी लीडरशिप फिगर नहीं है, जिससे निर्णायक मुकाबलों में उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।
इसके साथ ही, अनुभवी रेडर्स की कमी टीम के लिए एक बड़ा खतरा बन सकती है और प्लेऑफ में जगह बनाना मुश्किल कर सकती है। ऐसे में बुल्स को आकाश शिंदे पर काफी निर्भर रहना पड़ेगा, और युवा रेडर्स पर भी दबाव रहेगा कि वे रेडिंग यूनिट को सहारा दें और टीम को टॉप-6 में पहुँचाएं।
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