लखनऊ: सीएसआईआर-सीडीआरआई लखनऊ ने सीएसआईआर-जिज्ञासा परियोजना के तहत एक स्टूडेंट-साइंटिस्ट कनेक्ट कार्यक्रम का आयोजन किया जिसमे सुभाष चंद्र बोस इंस्टीट्यूट ऑफ हायर एजुकेशन, आईआईएम रोड, लखनऊ से 4 प्रोफेसर सहित 61 छात्रों के एक बैच को आमंत्रित किया गया।
इस कार्यक्रम का उद्देश्य अनुसंधान प्रयोगशाला आधारित शिक्षण (रिसर्च-लेबोरेट्री बेस्ड लर्निंग) के माध्यम से कक्षा शिक्षण (क्लासरूम लर्निंग) को विस्तार देना था।
जिज्ञासा एक अभिनव कार्यक्रम है जो कम उम्र की युवा प्रतिभाओं को वैज्ञानिक अनुसंधान के क्षेत्र में संलग्न करने का प्रयास करता है एवं वैज्ञानिक एवं प्रौद्योगिक दृष्टिकोण को मजबूत तथा विस्तारित करने के लिए आवश्यक मानव संसाधन का निर्माण करता है।
सीएसआईआर-जिज्ञासा के अंतर्गत स्टूडेंट-साइंटिस्ट कनेक्ट प्रोग्राम
कार्यक्रम की शुरुआत सीडीआरआई के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. संजीव यादव ने सीएसआईआर-सीडीआरआई के बारे में एक परिचयात्मक व्याख्यान के साथ की। डॉ. संजीव ने सीडीआरआई द्वारा तैयार की गई विभिन्न दवाओं के बारे में छात्रों को विस्तृत जानकारी दी।
उन्होंने औषधियों की खोज में संस्थान के योगदान के बारे में बताया, जिसमें एक प्रमुख औषधि “सहेली” का उल्लेख करते हुये बताया की यह दुनिया की पहली नॉन-स्टेरायडल गर्भनिरोधक है।
इसके अलावा उन्होंने औषधि अनुसंधान एवं विकास के क्षेत्र में आजीविका हेतु विभिन्न अवसरों के बारे में बताया की जिन्हें छात्र अपनी क्षमता एवं रुचि के अनुसार चुन सकते हैं।
अगर छात्र चाहे तो, वें स्नातक पूरा करने के बाद इंडस्ट्रीज़ के साथ काम कर सकते हैं या वें उच्च अध्ययन के लिए सीडीआरआई जैसे किसी भी अनुसंधान संस्थान में उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं।
उन्होने अनेक कैरियर क्षेत्र की जानकारी दी जिनमे से बायोमेडिकल रिसर्चर, मेडिसिन एडवाइजर, पेटेंट अटॉर्नी, फोरेंसिक साइंटिस्ट, रेगुलेटरी अटॉर्नी, क्वालिटी कंट्रोल केमिस्ट, क्वालिटी एश्योरेंस, मेडिकल साइंस लाइजन, फार्माकोविजिलेंस जैसे कुछ क्षत्र प्रमुख हैं।
एक शिक्षाविद के तौर पर भी छात्र अपना उज्ज्वल कैरियर बना सकता है जहां वो अपने द्वारा अर्जित ज्ञान को अगली पीढ़ी को हस्तांतरित कर सकता हैं। उन्होंने कहा, चूंकि भारत अब दुनिया के लिए फार्मेसी के रूप में उभरा है, इसलिए युवा छात्रो के लिए फार्मेसी एक बेहतरीन आजीविका का अवसर बनता जा रहा हैं।
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औषधि अनुसंधान के बारे मे आगे जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि कैसे एक अणु को दवा में परिवर्तित किया जाता है एवं कैसे विभिन्न वैज्ञानिक मिलकर एक दवा बनाने के लिए एक टीम के रूप में काम करते हैं।
उन्होंने छात्रों को यह भी जानकारी दी कि वे सीएसआईआर-सीडीआरआई के साथ मिलकर कैसे अपनी यात्रा शुरू कर सकते हैं। प्रतिभागियों ने विभिन्न प्रयोगशालाओं का दौरा किया और वैज्ञानिकों के साथ बातचीत की।सूक्ष्म जीव विज्ञान विभाग में प्रधान वैज्ञानिक डॉ. वाई के मंजू ने छात्रों के साथ बातचीत की और क्षय रोग पर एक रोचक व्याख्यान प्रस्तुत किया।
उनके साथ डॉ बी एन सिंह ने रोग नियंत्रण के बारे में कुछ महत्वपूर्ण पहलू भी जोड़े। शोधछात्रों ने प्रतिभागियों को विभिन्न उपकरणों के उपयोग, उचित सुरक्षा के साथ उनके संचालन एवं प्रयोग संबंधित बारीकियों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने लीशमैनिया एवं फाइलेरिया रोग पर अपने शोध के बारे में बताया।
बाद में प्रतिभागियों ने इन्सेक्टेरियम फेसिलिटी जहां मलेरिया एवं फाइलेरिया रोग पर अनुसंधान के लिए आवश्यक मच्छरों का पालन किया जाता है, का भी दौरा किया जहां तकनीकी अधिकारी ऋषि नारायण ने अनुसंधान के लिए विभिन्न प्रजातियों के मच्छरों के पालन की जानकारी दी।
जन्तु प्रयोगशाला सुविधा के दौरे के दौरान प्रतिभागियों को प्रधान वैज्ञानिक डॉ. राजदीप गुहा के साथ बातचीत करने का भी अवसर मिला। तकनीकी अधिकारी श्री चंद्रशेखर यादव ने अनुसंधान के लिए आवश्यक विभिन्न पशु मॉडलों का प्रदर्शन किया।
शोधकर्ताओं ने बताया कि सीडीआरआई सकिल डेवेलपमेंट के लिए कुछ शॉर्ट टर्म एनिमल हैंडलिंग के कोर्स भी आयोजित करता है जिसे करने पर वे अपनी योग्यता बढ़ा सकते हैं,
जिससे उन्हें नौकरी मिलने की संभावना बढ़ जाती है। कार्यक्रम के अंत में प्रोफेसर्स एवं छात्रों ने सीडीआरआई के इस कार्यक्रम के समग्र अनुभव पर अपनी प्रतिक्रिया दी।