टैक्स व नई स्कीम्स से आसान होगी केमिकल-डाइंग सेक्टर की राह

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बजट 2025 में इस बार केमिकल इंडस्ट्री को काफी उम्मीदें हैं। केमिकल सेक्टर सरकार की ओर उम्मीद भरी नजरों से देख रही है। केमिकल सेक्टर में नेचुरल और सस्टेनबल प्रोडक्ट्स तैयार करने वाली कंपनियां विशेष तौर पर। इसका सबसे बड़ा कारण है एमएसएमई सेक्टर में मध्यम, लघु और सूक्ष्म इकाइयों के लिए लागू की गई स्कीम्स।

एएमए हर्बल के को-फाउंडर और सीईओ व आईआईए के वाइस चेयरमैन श्री यावर अली शाह ने कहा कि अगर इन तीनों इकाइयों की बात करें तो सबसे अधिक एक्सपोर्ट मध्यम इकाइयों द्वारा पैदा किया जाता है।

आंकड़ों की मानें तो एमएसएमई सेक्टर में 65 प्रतिशत एक्सपोर्ट सिर्फ मीडियम स्केल इंडस्ट्री द्वारा किया जाता है। ऐसे में अगर तीनों के लिए अगल-अलग स्कीम लागू की जाएं तो मध्यम इकाइयों के उत्पादन में निश्चित तौर पर बढ़ोतरी होगी।

मध्यम स्केल इंडस्ट्रीज के लिए लागू हो प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेटिव्स (पीएलआई)

सरकार ने लार्ज कैप कंपनियों में प्रोडशन को बढ़ावा देने के लिए पीएलआई जैसी स्कीम को लागू किया है। आंकड़ों की मानें तो एक ओर लार्ज स्केल कंपनियां एक करोड़ रुपये में 3 लोगों को रोजगार देती हैं वहीं मीडियम स्केल की कंपनियां 10 लोगों को रोजगार देती हैं। ऐसे में बजट के दौरान अगर मीडियम स्केल की कंपनियों के लिए इस तरह की स्कीम लागू होती है तो निश्चित रूप से प्रोडक्शन बढ़ाने में मिदद मिलेगी।

पर्यावरण की राहों को बनाएं आसान

सरकार का पर्यावरण बचाने को लेकर बहुत अधिक जोर है, ऐसे में केमिकल और डाय बनाने वाली कंपनियों द्वारा नेचर को बड़ा नुकसान होता है। इस बजट के दौरान अगर सरकार द्वारा पर्यावरण को बचाने के लिए जो कंपनियां सस्टेनबल प्रोडक्ट्स बना रही हैं उनका जीएसटी कम किया जाए उन्हें विशेष प्रोत्साहन मिलेगा।

इसके आलवा नेचुरल प्रोडक्ट्स अपनाने वाले उपभोक्ताओं को टैक्ट में लाभ देने से प्रोडक्ट की बाजार में मांग भी बढ़ेगी। वर्तमान में नेचुलर डाइंग को केमिकल इंडस्ट्री में ही गिना जाता है। ऐसे में अलद नेचुनल डाइंग को अलग इंडस्ट्री घोषित किया जाए तो इसे आधिक लाभ मिलेगा।

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