लखनऊ। जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के प्रति जागरूकता लाने के लिए पर्वतारोही और साइकिलिंग खिलाड़ी चंचल सिंह कुंवर अपनी अखिल भारतीय साइकिलिंग यात्रा के क्रम में आज साइकिल चलाते हुए लखनऊ पहुंचे।
लखनऊ पहुंचने के बाद केडी सिंह बाबू स्टेडियम पर एक समारोह में उनका स्वागत व सम्मान लखनऊ ओलंपिक संघ के संयुक्त सचिव व पेडलयात्री साइकिलिंग एसोसिएशन (पीसीए) के महासचिव आनंद किशोर पाण्डेय और लखनऊ मंडल के क्षेत्रीय क्रीड़ा अधिकारी अजय सेठी ने किया।
20000 किलोमीटर साइकिल चलाकर चंचल सिंह दे रहे ग्लोबल वार्मिंग के प्रति जागरूकता का संदेश
इस अवसर पर आनंद किशोर पाण्डेय ने चंचल सिंह कुंवर को यात्रा के लिए शुभकामनाएं दी और लोगों से अपील की कि चंचल सिंह कुंवर के द्वारा उठाये गए मुद्दों पर ध्यान देने की जरुरत है।
इस समारोह में वरिष्ठ समाजसेवी कमलदीप त्रिपाठी, लखनऊ बॉक्सिंग एसोसिएशन के सचिव सहदेव सिंह और कोषाध्यक्ष विशाल राज भी मौजूद थे।चंचल सिंह कुंवर ने अभी तक 19300 किलोमीटर साइकिल चलाई है और वो अब हरिद्वार जायेंगे और फिर अपने अंतिम गंतव्य दिल्ली की ओर बढ़ेंगे।
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चंचल सिंह कुंवर ने पिछले साल 28 अगस्त को ऋषिकेश से साइकिलिंग यात्रा शुरू की थी और उनकी योजना सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों का दौरा करके 6 महीने में 20000 किलोमीटर की दूरी तय करने की थी। चंचल सिंह कुंवर के अनुसार मेरे तीन संदेश हैं जो मुझे विश्वास है कि इस ग्रह पर संतुलन लाने में मदद करेंगे।
इसमें सबसे पहले पेड़ लगाना और सिर्फ एक पेड़ नहीं बल्कि मियाज़ाकी तकनीक से जंगल बनाने के लिए काम हो। उन्होंने कहा कि मैं सरकार से एक कानून लाने की अपील करता हूं जहां हम इस देश में पैदा होने वाले हर बच्चे के बाद एक पेड़ लगाएं और बचाएं।
इसके अलावा मेरा दूसरा संदेश न्यूनतम जीवन शैली अपनाने के लिए है और लोगों को जरूरत और चाहत के बीच के अंतर को समझना चाहिए और केवल तभी नई चीजों के लिए जाना चाहिए जब उनकी वास्तव में जरुरत हो।
इसके साथ ही चंचल सिंह कुंवर ने सभी से साइकिलिंग कल्चर अपनाने की अपील करते हुए कहा कि आप – साइकिल से काम पर जाएं और हर जगह साइकिल चलाएं और उन्होंने शहरों में समर्पित साइकिल पथ बनाने का भी अनुरोध किया।
बताते चले कि पिछले साल उत्तराखंड निवासी चंचल सिंह कुंवर ने पिछले साल 28 अगस्त को ऋषिकेश से साइकिलिंग यात्रा शुरू करने के बाद हिमाचल प्रदेश, लद्दाख और जम्मू-कश्मीर की ओर गए.। वही कन्याकुमारी, फिर वेस्ट बंगाल और फिर पूर्वोत्तर के सभी राज्यों की साइकिल चलाई और फिर यूपी में पहुंचे और प्रयागराज होते हुए लखनऊ पहुंचे।