गौतम बुद्ध नगर/नई दिल्ली । उत्तर प्रदेश के इटावा की रहने वाली और यहां कर्णी सिंह शूटिंग रेंज में चल रहे ‘खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स’ में दिल्ली विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व कर रही आदया त्रिपाठी जब 8वीं क्लास में थी तभी से उन्होंने राइफल चलना शुरू कर दिया था और आज अपनी मुकाम बना ली है।
आज वह खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में न केवल शॉट गन में भागीदारी कर रही हैं बल्कि खेलो इंडिया से वह स्पांसर भी है। उनके पिता जी इटावा के रहने वाले हैं जबकि आदया का जन्म आगरा में हुआ और पढ़ाई डीयू में कर रही है और दिल्ली स्टेट को रिप्रजेंट कर रही है।
आदया त्रिपाठी की माने तो शूटिंग का खेल एक तरह से पारिवारिक खेल है। उनके अनुसार यह देखा गया है कि घर परिवार या रिश्तेदार में से कोई शॉट गन चला रहा है तो उसे देख कर परिवार के अन्य लोग इस खेल में आने के बारे में सोचते हैं लेकिन हमारे परिवार में ऐसा कोई नही है।
मेरे पिता जी ने एक बार पिस्टल चला रहे थे और वहीं पर उन्होंने राइफल देखी। मैं भी राइफल गौर से देख रही थी तो उन्होंने पूछा कि क्या तुम इसे चलना चाहोगी। इसके बाद मैं हां कहि और फिर इस तरह से शॉट गन चलाने का सिलसिला शुरू हो गया।
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आदया को शुरू में राइफल बहुत ज्यादा भारी लगता था लेकिन अब नही। उसे छोटी हाइट होने की वजह से भी काफी ताने सुनने पड़े। लोग मजाक उड़ाते थे कि जितनी बड़ी तुम हो उससे कहि बड़ी तो राइफल है। लेकिन मैंने किसी की भी परवाह किये बगैर अपनी धुन में लगी रही। और आज तो मुझे कम हाइट की वजह से किसी भी तरह की कोई परेशानी नही होती है।
कुछ करिये जरूर, नही तो समाज में आपकी कोई अहमियत नहीं रहती
आदया त्रिपाठी का लड़कियों को लेकर कहना है कि ‘लड़की हो तो कुछ करिये जरूर, समाज में अपनी पहचान बनाइये’। नही तो यह समाज आपको लड़की हो यह नही कर सकती वह नही कर सकती कह कह कर परेशान कर देगा।
आदया मानती है कि खेलो इंडिया जैसे आयोजन से नए बच्चों को स्पोर्ट्स के फील्ड में कैरियर बनाने का मौका मिलता है। यह मंच नए खिलाड़ियों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाता है। आदया त्रिपाठी खेलो इंडिया के आयोजको का धन्यवाद देती है कि उन्होंने इतना बेहतरीन इंतजाम किया है।