मां नहीं चाहती थी कि उनकी तरह मैं भी पानी से डरूं : परमार विश्वा विजयभाई

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश में पहली बार आयोजित हो रहे खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स-2022 में राजकोट के आत्मीय विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व करने वाली एकमात्र एथलीट परमार विश्वा विजयभाई की कहानी कुछ अलग है।

विश्वा ने बताया कि उनकी मां को पानी से डर लगता था लेकिन वह नहीं चाहती थीं कि उनकी बेटी पानी से डरे और इसलिए उन्होंने विश्वा को तैराक बनाया। विश्वा इंजीनियरिंग सेकेंड इयर की छात्रा हैं। उनके पिता विजयभाई परमार राजकोट में कंस्ट्रक्शन का काम करते हैं।

मां हाउसवाइफ है। 8 साल से तैराकी कर रही विश्वा ने कहा,- मां को पानी से डर लगता है लेकिन वह नहीं चाहती थीं कि मैं भी पानी से डरूं औऱ इसलिए मां ने मुझे तैराकी में डाला। उस समय मैं 10 साल की थी। 18 साल की विश्वा का यह पहला खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स है।

400 मीटर व्यक्तिगत मेडले उनका पसंदीदा इवेंट है और इसमें वह कई पदक जीत चुकी हैं। अपने पहले कम्पटीशन के बारे में विश्वा ने कहा- खेल महाकुंभ जो कि 2014 में सूरत में हुआ था, वहां 400 मेडले में मैंने गोल्ड जीता था था जबकि फिर 200 मीटर बैकस्ट्रोक में सिल्वर था।

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साल 2016 तक मैं हर साल खेल महाकुंभ में गोल्ड मेडल लाती रही। फिर स्टेट फेडरेशन द्वारा आयोजित टूर्नामेंट में सिल्वर जीता था क्योंकि वहां कम्पटीशन टफ था।-

विश्वा ने बताया कि 2016 में हैदराबाद में आयोजित विमेंस नेशनल्स में उन्होंने हिस्सा लिया। बकौल विश्वा,- विमेंस नेशनल्स में मैं हीट आउट हो गई थी। वहां मेरा 16वां स्थान था। इसके बाद मैंने एक्वाथलन का नेशनल्स भी खेला था। उसमें मैं 11वें स्थान पर थी।

राजकोट के लोकमान्य तिलक स्वीमिंग पूल में बंकिम जोशी की देखरेख में हर रोज 5 से 6 घंटे प्रैक्टिस करने वाली विश्वा ने खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स के बारे में कहा- मैं कई सालों से इन खेलों मे आना चाहती थी।

अब मैं खुश हूं। यह एक शानदार प्लेटफार्म है। नए खिलाड़ियों से मिलने का मौका मिलता है और काफी कुछ जानने का मौका मिलता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का यह विजन देश में खेल को आगे जाएगा।

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