लखनऊ। भारत में 2025 तक कैंसर के मामले 15.7 लाख से अधिक होने का अनुमान है जिस कारण भारत को स्वास्थ्य सेवा के मोर्चे पर एक कठिन चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।
इसको देखते हुए इलाज के नए तरीकों पर विमर्श करते हुए लखनऊ का अपोलोमेडिक्स सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल क्षेत्र की पहली प्रोटॉन थेरेपी स्क्रीनिंग के लिए एक आउटपेशेंट विभाग (ओपीडी) की शुरुआत कर रहा है।
प्रोटॉन विकिरण कैंसर थेरेपी स्क्रीनिंग का उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड के मरीजों को भी फायदा
बहरहाल इस बड़ी पहल से कैंसर के इलाज में बड़ा बदलाव होगा। दरअसल अब प्रोटॉन थेरेपी के कैंसर मरीज़ों को शुरुआती जांच और परामर्श लखनऊ में ही मिल जाएगा। इसका फायदा उत्तर प्रदेश के साथ बिहार, झारखंड और नेपाल के लोगों को भी मिलेगा।
इस बारे में जो अपोलो अस्पताल के रेडिएशन ऑन्कोलॉजी विभाग में ‘हेड नेक एंड ब्रेस्ट’ की निदेशक (डॉ. सपना नांगिया (प्रसिद्ध कैंसर रोग विशेषज्ञ) ने बताया कि नार्मल रेडिएशन थेरेपी में इलाज के बाद मरीजों को काफी साइड इफेक्ट का सामना करना पड़ता है क्योकि इसमें हाई एनर्जी का असर आस पास के टिश्यू पर भी पड़ता है।
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वहीं हम प्रोटॉन थेरेपी में पॉजिटिव चार्ज पार्टिकल का प्रयोग करते है जिसमें कैंसर से प्रभावित क्षेत्र पर इन पार्टिकल की बौछार की जाती है। प्रोटॉन थेरेपी सकारात्मक रूप से चार्ज किए गए प्रोटॉन कणों का उपयोग करने वाली एक उन्नत विकिरण तकनीक है, जो नियमित रूप से उपलब्ध एक्स-रे आधारित विकिरण उपचार से मौलिक रूप से अलग है।
इस उपचार में, ट्यूमर के पास के सामान्य ऊतकों (टिशू) को एक्स-रे आधारित उपचार की तुलना में कम विकिरण प्राप्त होता है और ट्यूमर के डीएनए पर भी अलग तरह से प्रभाव पड़ता है। पहले के परिणाम कम दुष्प्रभाव होते हैं और दूसरे के परिणाम विकिरण प्रतिरोधी ट्यूमर में भी बेहतर होते हैं।
इलाज का ये क्रांतिकारी तरीका कैंसर के उन दुरुह प्रकार में भी कारगर है जहां नार्मल रेडिएशन थेरेपी कारगर नहीं होती है। डॉ. सपना नांगिया इस प्रोटॉन थेरेपी ओपीडी की प्रमुख होंगी जो भारत में कैंसर चिकित्सा के जाने माने डॉक्टरों में से एक हैं।
उन्होंने प्रतिष्ठित अमेरिकी संस्थानों में ऑब्ज़रवेशिप कार्यक्रमों के माध्यम से प्रोटॉन थेरेपी में अमूल्य विशेषज्ञता हासिल की है, जिसके बाद उन्होंने भारत में हेड, नैक, ब्रैस्ट और स्त्री रोग संबंधी कैंसर के लिए प्रोटॉन थेरेपी कार्यक्रम की शुरुआत की।
डॉ. नांगिया के अनुसार भारत में कैंसर की बढ़ती घटनाएं कैंसर के उपचार के परिणामों में सुधार करने वाले उपचारों तक पहुंच में सुधार के लिए सक्रिय उपायों की तत्काल आवश्यकता की दरकार है।
भारत में 2025 तक हो सकते हैं कैंसर के 15.7 लाख से अधिक रोगी
डॉ. सपना नांगिया के अनुसार पिछले 5 वर्षों में अपोलो प्रोटोन कैंसर सेण्टर में बड़ी संख्या में हेड व नेक, स्कल बेस ट्यूमर, स्तन, फेफड़े, सार्कोमा, प्रोस्टेट और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर का सफलतापूर्वक इलाज किया गया है। वहीं बुजुर्ग रोगियों और सह-रुग्णता वाले लोगों का बिना किसी समस्या के उपचार किया गया है जिसके परिणाम संतोषजनक रहे हैं।
इसी के साथ किशोरों और युवा वयस्कों में विकिरण प्रेरित दूसरे कैंसर के खतरे को कम करना भी बहुत संतोषजनक रहा है। कामकाजी उम्र के रोगियों में प्रोटॉन थेरेपी का एक अतिरिक्त लाभ दैनिक क्षमता, जीवन की गुणवत्ता और आगे के स्वास्थ्य देखभाल खर्चों पर पड़ने वाला व्यापक प्रभाव है।
अपोलो प्रोटॉन कैंसर सेंटर साउथ एशिया और मिडिल ईस्ट में पहला और एकमात्र प्रोटॉन थेरेपी केंद्र
दूसरी ओर अपोलोमेडिक्स सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल के एमडी और सीईओ, डॉ मयंक सोमानी ने बताया कि हमने अभी तक प्रोटान थेरेपी से 1400 मरीजों का इलाज किया है। उन्होंने यह भी बताया कि नार्मल रेडिएशन थेरेपी में अगर मुंह के कैंसर का इलाज होता था तो मरीज को इलाज के बाद लिक्विड डाइट पर डिपेंड रहना पड़ता था।
वहीं प्रोटान थेरेपी में अगर मुंह के कैंसर का इलाज होगा तो उसके बाद मरीज को इसके दुष्प्रभाव का सामना नहीं करना पड़ेगा। उन्होंने मरीज़ों के इलाज के लिए तेजी से बदलती की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के अस्पताल के संकल्प दोहराया।
उन्होंने कहा कि प्रोटॉन थैरेपी ओपीडी की शुरुआत विश्व स्तरीय उपचार के विकल्प देने और यह सुनिश्चित करने की हमारी प्रतिबद्धता को पुष्ट करती है कि मरीजों को नजदीक में ही सर्वोत्तम इलाज उपलब्ध हो। प्रोटॉन थेरेपी कैंसर के कई प्रकारों के लिए ज़्यादा सटीक और कम साइड इफेक्ट वाला इलाज प्रदान करती है।
इनमें सिर, गर्दन और स्तन कैंसर शामिल हैं। अपोलो अस्पताल यह इलाज भारत में शुरू करने वाला पहला अस्पताल है। वर्तमान में देश में प्रोटॉन थेरेपी की सुविधा अपोलोमेडिक्स के चेन्नई अस्पताल में है। प्रोटॉन थेरेपी के ज़रिए, अपोलोमेडिक्स का लक्ष्य इस क्षेत्र के कैंसर रोगियों के लिए इलाज को बेहतर बनाना और उनकी ज़िंदगी की गुणवत्ता बढ़ाना है।