जेलों में स्वास्थ्य सेवा सुदृढ़ करने के लिए दिशा-निर्देशों और समाधानों पर चर्चा

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संयुक्त राष्ट्र मादक पदार्थ और अपराध कार्यालय (यूएनओडीसी), इंडिया विजन फाउंडेशन और उत्तर प्रदेश कारागार विभाग की संयुक्त पहल से ‘जेल स्वास्थ्य सेवाओं को सशक्त बनाने’ के लिए एक परामर्श कार्यक्रम का आयोजन लखनऊ में किया गया।

इस 02 दिवसीय परामर्श कार्यक्रम का उद्देश्य भारत की जेलों में स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने के लिए नीतिगत दिशा-निर्देशों और समाधानों पर चर्चा करना था।

इस कार्यक्रम में जेल अधिकारियों व चिकित्सकों सहित विभिन्न हितधारकों ने हिस्सा लिया और उन्होंने जेलों में मौजूद स्वास्थ्य चुनौतियों और इनसे निपटने के लिए उपयुक्त उपायों पर विचार-विमर्श किया।

भारत में जेलों की भीड़भाड़ एक प्रमुख चुनौती है, जो न केवल कैदियों बल्कि जेल कर्मचारियों के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालती है। अधिक भीड़-भाड़ के चलते टीबी, एचआईवी और हेपेटाइटिस जैसे संक्रामक रोगों के फैलने की सम्भावना रहती है।

कारागार मंत्री ने इस परामर्श कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए अपने वक्तव्य में बताया कि सरकार द्वारा जेलों में बंदियों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को सुधारने के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए जा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के संकल्प स्वच्छ भारत अभियान की असली बानगी जेलों में है, जहाँ उच्च कोटि की साफ-सफाई रखी जा रही है।

जेल परिसरों में स्वच्छता बनाए रखने के प्रयासों से न केवल वातावरण में सकारात्मक बदलाव आ रहा है, बल्कि इससे बंदियों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। उन्होंने बताया के बंदियों को समाज द्वारा स्वीकार कराया जाना उनके पुनर्वास व समाज की मुख्य धारा में शामिल होने के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण है।

कार्यक्रम के दौरान प्रमुख वक्ताओं ने जेलों में स्वास्थ्य सेवा को बेहतर बनाने के महत्व पर जोर दिया। यूएनओडीसी के क्षेत्रीय प्रतिनिधि मार्को टेक्सिएरा ने कहा, “जेल स्वास्थ्य केवल व्यक्तिगत भलाई का मामला नहीं हैं, यह सार्वजनिक स्वास्थ्य से गहराई से जुड़ा हुआ।

है। कई कैदी अंततः अपने समुदायों में लौटते हैं, और यदि उन्हें उचित स्वास्थ्य सेवा नहीं मिलती, तो वे संक्रामक रोग फैलाने, मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करने और नशे की लत का शिकार बने रहने के जोखिम में होते हैं, जिससे व्यापक स्तर पर सार्वजनिक स्वास्थ्य और सुरक्षा प्रभावित होती है।

इसलिए, जेलों में स्वास्थ्य सेवा में सुधार सार्वजनिक स्वास्थ्य और सामाजिक जिम्मेदारी दोनों का मामला है। इसी भावना के साथ, UNODC ने नेल्सन मंडेला नियमों पर आधारित पहला ई-लर्निंग कोर्स तैयार किया है और एक प्रशिक्षण प्रशिक्षक कार्यक्रम (TOT) आयोजित किया है, जो ई-लर्निंग टूल पर आधारित है और राष्ट्रीय भाषाओं में उपलब्ध है।”

इंडिया विजन फाउंडेशन की संस्थापक और पूर्व उप राज्यपाल, पुडुचेरी, डॉ. किरण बेदी (IPS Retd.) ने अपने वक्तव्य में कहा, “इस मंच का उद्देश्य सिर्फ स्वास्थ्य पर ध्यान देना नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप कैदियों के समग्र कल्याण को सुनिश्चित करना है।

यह कोई एकल आयोजन नहीं है, इससे पहले ही कई महत्वपूर्ण अगले कदम उठाए जा चुके हैं। कारागार मंत्री ने इस प्रस्तावित पैकेज को जिसमें शिक्षा, कौशल, स्वास्थ्य और स्व-उत्तरदायित्व शामिल हैं उत्तर प्रदेश की सभी जेलों में लागू करने की पेशकश की है।

हमारा मॉडल स्वैच्छिक सेवा की भावना को बढ़ावा देता है और तीन बिन्दुओं पर आधारित है:- सामूहिकता, सुधारात्मक दृष्टिकोण, और सामुदायिक सहयोग।”

UNAIDS इंडिया के कंट्री डायरेक्टर डॉ. डेविड ब्रिजर ने कहा “जेलों में एचआईवी की प्रभावी रोकथाम और उपचार के लिए हमें ऐसा सुरक्षित वातावरण बनाना होगा जहाँ लोगों को एचआईवी जांच कराने, उपचार से जुड़ने और एचआईवी रोकथाम के प्रभावी तरीकों के बारे में शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहन और समर्थन मिले।

जेलें एचआईवी के प्रति प्रतिक्रिया में बदलाव लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं, क्योंकि यहाँ एक सुरक्षित वातावरण प्रदान किया जा सकता है, जहाँ लोग एचआईवी जांच और उपचार से जुड़ सकें।”

कार्यक्रम में वक्ताओं ने संयुक्त राष्ट्र की ‘नेल्सन मंडेला नियम’ का पालन करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया, जिसमें कहा गया है कि कैदियों को सामुदायिक स्वास्थ्य सेवाओं के समान स्वास्थ्य सेवाओं का अधिकार मिलना चाहिए। इसमें एचआईवी, टीबी और अन्य संक्रामक रोगों के उपचार और मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की निरंतरता सुनिश्चित करना शामिल है।

इसके अतिरिक्त, जेल स्वास्थ्य सेवाओं को सशक्त बनाने के एक बड़े प्रयास के हिस्से के रूप में, इस परामर्श में एक अभिनव उपकरण भी प्रस्तुत किया गया-एक शतरंज खेल, जिसे जेल स्टाफ को नेल्सन मंडेला नियमों पर शिक्षा देने के लिए डिजाइन किया गया था।

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इस परामर्श का मुख्य उद्देश्य जेल और स्वास्थ्य अधिकारियों के लिए एक मंच प्रदान करना था, ताकि वे अपने अनुभव, चुनौतियाँ, सीखे गए पाठ और जेल स्वास्थ्य सुधार के लिए समाधान साझा कर सकें।

उत्तर प्रदेश जेल प्रशासन एवं सुधार सेवाओं के पुलिस महानिदेशक एवं जेल महानिरीक्षक पी.वी. रामा शास्त्री ने अपने विचार प्रस्तुत करते हुए कहा, “कारागार विभाग ने विभिन्न स्वयं सेवी संस्थाओं के सहयोग के साथ जेल रेडियो जैसी कई पहलें शुरू की हैं जो बंदियों को रचनात्मक एवं सकारात्मक वातावरण प्रदान करता है।

डिजिटल लाइब्रेरी के माध्यम से बंदियों को शैक्षिक सामाग्री व प्रेरणादायक पुस्तकें उपलब्ध करायी जा रही हैं। साथ ही बंदियों के अच्छे स्वास्थ्य हेतु कारागारों में

Health ATM के उपयोग से एवं आई.सी.टी.सी. केंद्र द्वारा HIV/AIDS, TB, STI का शीघ्र पता लगाने के लिए किया जा रहा है। बंदियों के बीच Prison Health Workers को कारागार चिकित्सकों द्वारा प्रशिक्षण दिया जाता है।

इस सम्मेलन में हुए विचार-विमर्श, व्याख्यान एवं प्राप्त निष्कर्ष” ने स्वास्थ्य सेवाओं की चुनौती और इसके समाधान पर नीति निर्माण के स्तर पर एक नई दिशा प्रदान की है। जेलों में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार मानव अधिकार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इस दिशा में हुए इस प्रयास ने स्वास्थ्य सुधारों के प्रति एक नई सोच को प्रेरित किया है।

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