अनवर साहब आज भी अपने चाहने वालों के दिलों में जीवित : हर्षवर्धन अग्रवाल

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लखनऊ। अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शायर एवं साहित्यकार, भगवद गीता को देश की स्वतंत्रता के बाद पहली बार उर्दू शायरी में काव्य अनुवाद करने वाले पद्मश्री स्वर्गीय अनवर जलालपुरी की 75वी जयंती के अवसर पर हेल्प यू एजुकेशन एवं चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा ट्रस्ट कार्यालय इंदिरा नगर स्थित राम दरबार में श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

इस अवसर पर श्रद्धांजलि सभा में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्षवर्धन अग्रवाल ने कहा कि पदमश्री अनवर जलालपुरी देश की साहित्यिक और राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने के लिए हमेशा कोशिश किया करते थे।

अनवर जलालपुरी ने समाज में फैले वैमनस्य को दूर करने के लिए कहा कि, हरदम यह आपस का झगड़ा, मैं भी सोचू तू भी सोच, कल क्या होगा शहर का नक्शा, मैं भी सोचू तू भी सोच …., तुम प्यार की सौगात लिए घर से तो निकलो, रास्ते में तुम्हे कोई भी दुश्मन न मिलेगा ……।

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उन्होंने हिंदुस्तान में भाईचारे की डोर को मजबूत करने के लिए और यहां की गंगा जमुनी तहजीब को बरकरार रखने के लिए श्रीमद्भभगवदगीता को उर्दू शायरी में अनुवाद करके जन जन तक पहुंचाने का कार्य किया। हमें इस बात का गर्व है के अनवर साहब हमारे ट्रस्ट के संरक्षक थे और उनका इस ट्रस्ट से बहुत गहरा संबंध था।

आज वह हमारे बीच नहीं हैं लेकिन हमारे और उनके चाहने वालों के दिलों में हमेशा एक सुनहरी याद बनकर जीवित रहेंगे। इस श्रद्धांजलि कार्यक्रम में ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्षवर्धन अग्रवाल, डॉ रूपल अग्रवाल, अनवर साहब के पुत्र शहरयार जलालपुरी, शाहकार जलालपुरी और डॉ जां निसार आलम सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

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