लखनऊ: पर्यावरणीय उत्तरदायित्व और समग्र स्वास्थ्य के अद्भुत समन्वय के रूप में, ‘रिवर योगा अभियान’ का शुभारंभ गोमती नदी के कुदिया घाट, लखनऊ पर हुआ। यह अभियान 21 अप्रैल से 21 जून तक चलेगा और अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर पूूरा होगा।
इसका उद्देश्य लोगों को गोमती नदी से गहरे स्तर पर जोड़ना है—शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रूप से। यह अभियान 137 कंपोजिट इकोलॉजिकल टास्क फोर्स बटालियन (टेरेटोरियल आर्मी) 39 गोरखा राइफल्स द्वारा नगर निगम लखनऊ, बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय (BBAU)
और स्टेट मिशन फॉर क्लीन गंगा (SMCG-UP) के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है। यह गोमती नदी के सभी प्रमुख घाटों को कवर करेगा।
हर सुबह 6:00 से 8:00 बजे तक, प्रमाणित प्रशिक्षकों द्वारा योग सत्र आयोजित किए जा रहे हैं, जिसके बाद घाटों पर सफाई अभियान चलाया जा रहा है। NCC/NSS, छात्र, नागरिक समाज संगठन और स्थानीय निवासी उत्साहपूर्वक भाग ले रहे हैं।
अभियान की एक खास बात है इसका साप्ताहिक थीम आधारित कार्यक्रम, जिसमें “प्लास्टिक मुक्त घाट,” “स्वस्थ नदी, स्वस्थ जीवन,” और “नदी किनारे ध्यान” जैसे विषय शामिल हैं। इन विषयों का उद्देश्य लोगों में यह समझ विकसित करना है कि पर्यावरणीय स्वास्थ्य और व्यक्तिगत कल्याण एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हैं।
प्रोफेसर (डॉ.) वेंकटेश दत्ता, पर्यावरण विज्ञान विभाग, BBAU ने कहा कि “रिवर योगा अभियान एक दुर्लभ अवसर प्रदान करता है जहां आध्यात्मिक, सामाजिक और पारिस्थितिक पहलू एक साथ जुड़ते हैं। यह एक ऐसा आंदोलन है जो लोगों को नदी से केवल शारीरिक रूप से नहीं, बल्कि भावनात्मक और नैतिक रूप से भी जोड़ता है।
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इकोलॉजिकल टास्क फोर्स से मेजर कंवरदीप सिंह नागी ने कहा कि “यह पहल केवल योग या सफाई तक सीमित नहीं है—यह पारिस्थितिक चेतना और सामूहिक कार्रवाई की संस्कृति विकसित करने का प्रयास है। हम समाज के हर वर्ग से प्रेरणादायक सहभागिता देख रहे हैं।”
21 जून 2025 को, अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर, कुड़िया घाट पर एक विशाल सामूहिक योग प्रदर्शन, अभियान की झलकियों की प्रदर्शनी, और प्रमुख योगदानकर्ताओं का सम्मान किया जाएगा।
स्वास्थ्य, पर्यावरणीय चेतना और जन-सहभागिता का यह संगम, रिवर योगा अभियान को एक आदर्श बनाता है—जो दर्शाता है कि नागरिक और संस्थाएं मिलकर कैसे स्थायी परिवर्तन की दिशा में सार्थक कदम उठा सकते हैं।