शैक (लाइकेन) वर्गीकरण के महत्व, औषधीय अध्ययन व अनुप्रयोगों पर जोर

0
156

लखनऊ: सीएसआईआर-एनबीआरआई, लखनऊ में “पारिस्थितिकी तंत्र में शैक” विषयक दो दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ सोमवार को डॉ.अजित कुमार शासनी (निदेशक, सीएसआईआर-एनबीआरआई, लखनऊ) ने किया.

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार एवं विज्ञान एवं अभियांत्रिकी अनुसंधान बोर्ड द्वारा प्रायोजित इस कार्यशाला में लखनऊ एवं आसपास के जिलो में उपस्थित महाविद्यालयो के 25 शिक्षक भाग ले रहे हैं. उदघाटन में डॉ.केपी सिंह (नासी वरिष्ठ वैज्ञानिक, बीएसआई) मुख्य अतिथि रहे.

एनबीआरआई में पारिस्थितिकी तंत्र में शैक पर दो दिवसीय कार्यशाला 

संस्थान के पूर्व वैज्ञानिक एवं एमेरिटस विज्ञानी डॉ.डीके उप्रेती ने सभी प्रतिभागियों को कार्यशाला में हर संभव मार्गदर्शन और समर्थन का आश्वासन दिया.

डॉ. अजित कुमार शासनी (निदेशक) ने कहा कि एनबीआरआई शैक विज्ञान (लाइकेन) के क्षेत्र में शोधकार्य के लिए सम्पूर्ण भारत में विख्यात हैं तथा उन्होंने शैक (लाइकेन) वर्गीकरण के महत्व और औषधीय अध्ययन पर इसके अनुप्रयोगों पर जोर दिया.

डॉ.संजीवा नायका (वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक) ने बताया कि एनबीआरआई का पादपालय (एलडबल्यूजी) दक्षिण पूर्व एशिया में शैक का सबसे बड़ा संग्रह रखता है.

ये भी पढ़ें : भारत में जर्मनी के राजदूत डॉ. फिलिप एकरमैन ने एनबीआरआई की गतिविधियों के बारे में जाना 

इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के शिक्षकों के बीच शैक (लाइकेन) संबंधी जानकारी जैसे शैक संग्रह, संरक्षण, पहचान, संरक्षण के साथ-साथ बायोप्रोस्पेक्टिंग, बायोडीटेरियोरेशन और बायोमोनिटरिंग जैसे अन्य पहलुओं के लिए एक साझा मंच प्रदान करना है.

यह कार्यशाला विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (एसईआरबी)के वैज्ञानिक सामाजिक उत्तरदायित्व पहल का एक हिस्सा है, जिसका उद्देश्य अनुसंधान के लाभों को प्रत्यक्ष रूप से स्कूलों और कॉलेजों, विश्वविद्यालयों और संस्थानों में संचारित करना हैं.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here