गुरु के सानिध्य से ही सीखा जा सकता है संगीत

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लखनऊ। शुक्रवार को बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में मेरी माटी, मेरा देश श्रंखला के तहत विवि के संगीत विभाग द्वारा गुरुकुल से विश्वविद्यालय तक संगीत विषय एक दिवसीय राष्ट्रीय संगीत संगोष्ठी आयोजित हुई।संगोष्ठी में प्राचीन से आधुनिक काल में देश के विकास में संगीत की भूमिका पर परिचर्चा की गयी।

बीबीएयू के संगीत विभाग द्वारा आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व वरिष्ठ विधिक परामर्शदाता राज्यपाल यूपी एसएस उपाध्याय शामिल हुए। उन्होंने कहा कि संगीत एक विषय मात्र नहीं हैं। जो संगीत पाठ्यक्रम में पंजीकृत है वें साधना करते हैं।

अम्बेडकर विवि को ज्ञान का संसद बनाने हुई परिचर्चा

सब कुछ किताबों से सीख सकते हो और ऑनलाइन सीख सकते हो लेकिम संगीत बिना गुरु सानिध्य के नहीं सीख सकते हो। यह गुरुमुखी विद्या हैं। गुरु से बढ़कर कोई नहीं हैं और न ही गुरु के बराबर भी कोई नहीं हैं।

पाश्चात्य संगीत केवल भौतिक रूप आंनद कर सकती है लेकिन भारतीय संगीत हमारे अंदर चेतना को जागृत कर देती है। मुख्य वक्ता के रूप में शामिल प्रसिद्ध बांसुरी वादक पं. चेतन जोशी ने कहा कि विवि के कुलगीत की लाइन ‘अम्बेडकर विश्वविद्यालय को ज्ञान संसद बनाएं’ बहुत बड़ी बात हैं।

विवि को ज्ञान का संसद बनाने की जिज्ञासा विवि को बहुत आगे ले जायेगा। विवि की लाइन अम्बेडकर विश्वविद्यालय को ज्ञान का संसद बनाने में अग्रसर है। उन्होंने कहा कि शिक्षा, स्वास्थ्य और व्यवसाय समाज के प्रमुख अंग हैं।शिक्षा जिसमें सबसे महत्वपूर्ण हैं।

उन्होंने प्राचीन शिक्षा पद्धति पर प्रकाश डाला। पहले गुरुकुल में न्यूनतम संख्या 400 और अधिकतम 20 हजार छात्रों की संख्या थी।

लार्ड कैनिन के वायसराय के कार्यकाल में तीन विश्वविद्यालय कोलकाता,मद्रास और मुंबई में बना।गुरु शिष्य की परंपरा अभी सिर्फ़ संगीत और कुश्ती खेल में प्रचलित हैं।संगीत 5000 वर्ष पूर्व की परंपरा हैं।

गुरुकुल में 5-7 वर्ष में बच्चों का प्रवेश हो जाता था। गुरुकुल की सत्ता से राजा भी डरते थे। गुरुकुल में न्यूनतम आवश्यकता होती थी। गुरुओं का पूरा ध्यान शोध पर होता था। उन्होंने कहा कि ‘जो हमारे शरीर में हैं वही ब्रह्माण्ड में हैं’ शोध का आधार था।विवि में संगीत सुलभ और सुगम हो गया हैं।विवि में शास्त्र और शोध पर मान्यता दी गयी हैं।

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संगीत में नए नए आयाम हो गए हैं।जो गुरुकुल में सीखना संभव न हो पाता। गुरुकुल व्यवस्था में गुरु के साथ छात्र का परिचय दिया जाता हैं लेकिन विवि में छात्रों के परिचय में प्राध्यापको नाम नहीं होता है। संगीत विभाग की समन्वयक डॉ. बबिता पाण्डेय ने कार्यक्रम में सेमिनार की विषय वस्तु रखी।

मंच का संचालन एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का निर्देशन डॉ. श्रीकान्त शुक्ल संगीत विभाग बीबीएयू द्वारा किया गया।संगीत क्लब समन्वयक कैप्टन डॉ.राजश्री ने स्वागत भाषण दिया और कायक्रम के अंत में सभी का धन्यवाद ज्ञापन किया।

प्रो नवीन कुमार अरोरा, आईटी विभागाध्यक्ष डॉ. धीरेन्द्र पाण्डेय, डॉ. अलका, डॉ. पी.के.चौरसिया, डॉ नरेंद्र कुमार, डॉ.शर्मीला, अरविन्द शुक्ला आदि मौजूद रहे।

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