चलो री सखि गंगा नहाये, स्नान पर्वो की प्रासंगिकता पर चौपाल चर्चा

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लखनऊ। लोक संस्कृति शोध संस्थान द्वारा सोमवार को महाकुम्भ और लोक जीवन में स्नान पर्वों की प्रासंगिकता विषय पर आयोजित लोक चौपाल में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि दी गई। राजकीय शोक के चलते आनलाइन हुई चौपाल में निर्गुण गाये गये। साथ ही महाकुम्भ के महात्म्य पर चर्चा और गंगा गीतों की प्रस्तुतियां भी हुईं।

लोक संस्कृति शोध संस्थान की सचिव सुधा द्विवेदी ने विषय प्रवर्तन करते हुए कहा कि लोक जीवन में कार्तिक पूर्णिमा, माघी पूर्णिमा, मौनी अमावस्या आदि पर्वों का लोक जीवन में व्यापक महत्व रहा है। कुम्भ के स्नान पर्व पर जुटने वाली अपार भीड़ सनातनी परम्परा का जीवंत प्रमाण है।

नवयुग महिला महाविद्यालय के हिन्दी विभाग की डा. अपूर्वा अवस्थी ने स्नान दान का महत्व, शरद ऋतु में खान पान के व्यंजन आदि की चर्चा करते हुए कहा कि लोक मान्यता है कि महाकुम्भ में स्नान से जीवन के सभी पापों से छुटकारा मिलता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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चौपाल प्रभारी अर्चना गुप्ता के संचालन में हुई परिचर्चा में भातखण्डे संस्कृति विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति डा. पूर्णिमा पाण्डेय, डा. उषा वाजपेयी, उमा त्रिगुणायत, विनीत सिंन्हा आदि ने सहभागिता की।

चौपाल में पारम्परिक गीतों की प्रस्तुति भी हुई। सरिता अग्रवाल ने संगम पर छाय रहब छानी पियब रोज गंगा के पानी, रेखा मिश्रा ने चलो संगम नगरिया, रचना गुप्ता ने गंगा की पावन जलधार हो, अनुज श्रीवास्तव ने चलो री सखि गंगा नहाये, अरुणा उपाध्याय ने तोहरी लहर दूधनार है गंगा मइया सुनाया।

इसके साथ ही वरिष्ठ गायिका मनु राय, रेखा अग्रवाल, साधना मिश्रा, कल्पना सक्सेना, कुमकुम मिश्रा, मीनू पाण्डेय, पल्लवी निगम, वेदानन्द वेद, संगीता आहूजा, सुनीता पाण्डेय, ज्योति किरन, राशि श्रीवास्तव, गौरव गुप्ता, आदि ने भी प्रस्तुति दी।

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