मुहर्रम की मजलिस में गूंजा अमन व इंसाफ का संदेश, मोहसिन रज़ा हुए शरीक

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लखनऊ। मुहर्रम की 6वीं तारीख़ के मौके पर लखनऊ की ऐतिहासिक विक्टोरिया स्ट्रीट स्थित मदरसा नाज़िमिया में मजलिस-ए-अज़ा का आयोजन किया गया। इस मौके पर उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व राज्यमंत्री मोहसिन रज़ा ने शिरकत कर ग़म-ए-हुसैन में अपनी अकीदत का इज़हार किया।

मजलिस को देश के प्रख्यात शिया धर्मगुरु और मदरसा नाज़िमिया के प्रमुख मौलाना सैयद हमीदुल हसन साहब ने खिताब फरमाया। उन्होंने कर्बला के शहीदों, खासकर इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और उनके वफ़ादार साथियों की अज़ीम कुर्बानी का विस्तार से ज़िक्र किया।

मौलाना साहब ने कहा, “करबला सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि यह इंसाफ, इंसानियत, सब्र और ज़ुल्म के खिलाफ डटकर खड़े होने का अमर पैग़ाम है।” उन्होंने समाज में भाईचारे, अमन और मोहब्बत को मजबूत करने की अपील भी की।

मजलिस के बाद मोहसिन रज़ा ने मौलाना साहब से मुलाकात कर उनकी सेहत और कुशलक्षेम की जानकारी ली तथा उनकी सलामती के लिए दुआ की। मौलाना साहब ने भी श्री मोहसिन रज़ा को अपनी दुआओं से नवाज़ा।

इस अवसर पर मोहसिन रज़ा ने कहा कि “मुहर्रम का महीना हमें इंसाफ, बलिदान और मानवता के लिए संघर्ष करने की सीख देता है। इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की कुर्बानी सम्पूर्ण मानवता के लिए एक मार्गदर्शक है, जो हमें अन्याय के खिलाफ़ डटकर खड़े होने और सच्चाई के लिए हर कुर्बानी देने की प्रेरणा देती है।”

इस मजलिस में बड़ी संख्या में अकीदतमंदों ने शिरकत की और ग़म-ए-हुसैन में अश्कबार होकर अपनी अकीदत पेश की। आयोजन समिति और मदरसा नाज़िमिया के प्रशासन द्वारा मजलिस के बेहतर और अनुशासित इंतजाम किए गए थे।

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