टीले वाली मस्जिद बनाम लक्ष्मण टीला विवाद के चलते माहौल में गर्मी

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लखनऊ। अखिल भारत हिन्दू महासभा की आगामी 22 मई को निकाली जाने वाली लक्ष्मणटीला मुक्ति संकल्प यात्रा को लेकर मामला गरमा गया है।

यात्रा को लेकर टीले वाली मस्जिद के मौलाना फजल उर मन्नान ने इसे कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने की आशंका जताते हुये चेतावनी देते हुये कहा है कि 1090 चौराहे पर ही प्रशासन यात्रा रोक दें अन्यथा यात्रा को हम अपनी कौमों के साथ मिलकर रोकेगें।

प्रशासन रोके, नहीं तो हम रोकेंगे संकल्प यात्रा : मौलाना फजल उर मन्नान

वहीं दूसरी ओर हिन्दू महासभा के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष ऋषि त्रिवेदी ने साफ कहा कि पहले से तय लक्ष्मणटीला मुक्ति संकल्प यात्रा हर हाल में निकलकर रहेगी, यह अभी शुरूआत है और मुगलकाल के दौरान आक्रांताओं द्वारा लक्ष्मणटीला पर बनायी गयी टीलेवाली मस्जिद को हटाने के लिये हर स्तर पर लड़ाई लड़ी जायेगी।

लक्ष्मण टीला के अस्तित्व को लौटाने की शुरूआत है संकल्प यात्रा : ऋषि त्रिवेदी  

श्री त्रिवेदी ने कहा कि इस यात्रा को लेकर सभी तैयारियां भी पूरी कर ली गयी है, तैयार किये गये यात्रा के कार्यक्रम के अनुसार  22 मई को अपराह्न तीन बजे 1090 चौराहा से लोहिया पथ से होते हुए मुख्यमंत्री आवास, राजभवन के समक्ष हाते हुये अटल चैराहा, हजरतगंज, हलवासिया मार्केट, परिवर्तन चौक, स्वास्थ्य भवन, शहीद स्मारक होते हुए लक्ष्मण टीला पहुँच कर समाप्त होगी।

हिन्दू महासभा 22 मई को निकालेगी लक्ष्मणटीला मुक्ति संकल्प यात्रा 

हिन्दू महासभा के नेता ऋषि त्रिवेदी ने बताया कि लक्ष्मण टीला को लेकर पूरा हिन्दू समाज ही नहीं बल्कि मुस्लिम समुदाय भी इसकी पूरी सच्चाई जानता है कि टीले वाली मस्जिद को लक्ष्मण टीले की जगह पर निर्मित करायी गयी थी। जिसके कई उदाहरण इतिहास में देखने को मिल जायेंगे।

लखनऊ के पूर्व सांसद स्वर्गीय लालजी टंडन ने अपनी पुस्तक अनकहा लखनऊ में लक्ष्मणटीला का जिक्र किया है। जिसमें साफ कहा गया है लखनऊ के पौराणिक इतिहास को नजरअंदाज कर नवाबी कल्चर को प्रदर्शित करने के लिये लक्ष्मण टीला के अस्तित्व को मिटाने का काम किया गया।

यही नहीं बल्कि लक्ष्मण टीले पर शेष गुफा थी जहां बड़ा मेला लगता था। खिलजी के वक्त यह गुफा ध्वस्त की गई। बार-बार इसे ध्वस्त किया जाता रहा और यह जगह टीले में तब्दील हो गई। औरंगजेब ने बाद में यहां एक मस्जिद बनवा दी। 1857 के बाद अंग्रेज यहां बनी गुलाबी मस्जिद के ऊपर घोड़े बांधने लगे।

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बाद में राजा जंहागीराबाद की गुहार पर अंग्रेजों ने मस्जिद को खाली कर दिया। हर दौर में इसका नाम लक्ष्मण टीला बना रहा, लेकिन पिछली सपा सरकार में लक्ष्मण टीला का नाम पूरी तरह मिटाकर इसे टीले वाली मस्जिद कर दिया।

चार वर्ष पूर्व इस मामले को लेकर विवाद तब उठा था जब नगर निगम ने टीले के सामने लक्ष्मण की मूर्ति लगाने का प्रस्ताव किया था। जिसे मुस्लिम उलेमाओं के विरोध के चलते ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।

पिछले वर्ष नगर निगम कार्यकारिणी की बैठक में महापौर संयुक्ता भाटिया ने लक्ष्मण की प्रतिमा के लिए बजटएक करोड़ रुपये खर्च का प्रस्ताव पास किया था। हालांकि उस समय यह स्पष्ट किया गया था कि प्रतिमा पुराने लखनऊ के उस लक्ष्मण टीला स्थान पर नहीं लगाई जाएगी, जहां इसे लेकर पूर्व में विवाद उठा चुका है।

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