सोनभद्र/लखनऊ। सोन नदी के किनारे बसे सोनभद्र जिले में जल जीवन मिशन की सबसे अनोखी योजना बनकर तैयार है। बेलाही ग्राम समूह पाइप पेयजल योजना के तहत धंधरौल बांध पर तैरता इंटेक दिखाई देगा। इंटेक से जुड़े पाइपलाइन फ्लोटर पर बांध पर तैरते हुए वाॅटर ट्रीटमेंट प्लांट तक जाते हुए नजर आएंगे।
तैरता इंटेक 1 लाख 43 हजार से अधिक ग्रामीणों की बुझा रहा प्यास
इस तरह का नजारा आपके लिए सबसे अलग होगा। यह इंटेक 205 गांव के 23,779 ग्रामीण परिवारों को नल से स्वच्छ पेयजल की सप्लाई करेगा। 1 लाख 30 हजार से अधिक ग्रामीण इस योजना से लाभान्वित होंगे।
इंटेक से लिया जाने वाला रॉ-वाटर वाटर ट्रीमेंट प्लांट पहुंचेगा और यहां से 7 पानी टंकियों के माध्यम से पेयजल सप्लाई की जाएगी। योजना के तहत 5 सीडब्ल्यूआर भी बनाए गये हैं।
इंटेक से जुड़े पाइप फ्लोटर की मदद से बांध में तैरते हुए रॉ-वाटर डब्ल्यूटीपी तक पहुंचाएंगे
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की महत्वाकांक्षी जल जीवन मिशन योजना यूपी के सोनभद्र जिले के लिए वरदान साबित हो रही है। यहां कभी पीने के पानी की समस्या बड़ी विकट थी। भूजल स्तर गिरा रहता था, पानी की गुणवत्ता पर भी सवाल उठते थे। जल जनित बीमारियों का खतरा मंडराता था।
पर, जब से जल जीवन मिशन की हर घर जल योजना का काम शुरू हुआ स्थितियां बदलने लगीं और परिवर्तन भी आया है। अब गांव-गांव में स्वच्छ पेयजल पहुंच रहा है।
7 पानी टंकियों से 205 गांव के 23,779 ग्रामीण परिवारों को मिलेगा नल से स्वच्छ पेयजल
बीमारियां भी घटी हैं और ग्रामीणों का स्वास्थ्य भी बेहतर हो रहा है। यहां पेयजल कि समस्या को दूर करने लिए भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा संचालित जल जीवन मिशन “हर घर जल” कार्यक्रम के तहत जनपद में सतही श्रोत पर आधारीत 12 नग ग्रामीण पाईप पेयजल योजनाओं का निर्माण विभिन्न फर्मों द्वारा कराया जा रहा है।
भूजल स्तर में कमी के कारण कभी नदी पर ही आश्रित थे सोनभद्र के ग्रामीण क्षेत्रों के लोग
योजनाओं में जल आहरण हेतु सोन नदी, रेणु नदी, धंघरौल बांध, नगवां बांध एवं रिहन्द बांध के किनारे पर पारंपरिक इण्टेकवेल का निर्माण किया जाना है।
रिहन्द बांध, धंघरौल बांध एवं नगवां बांध का धरातल पथरीला होने के कारण पारंपरिक इण्टेकवेल के निर्माण में अत्यधिक समय एवं खर्च लगना था साथ ही अनापत्ति प्रमाण पत्र मिलने में भी काफी कठिनाईयां आ रही थीं।
जल जीवन मिशन की योजना से नदियों और बांधों पर इंटेक बनाकर घर-घर पहुंचाए गये नल कनेक्शन
अतः इसके समाधान के लिये वारी पोन्टून पूणे से फ्लोटिंग इण्टेकवेल हेतु प्रस्तुतीकरण लिया गया और इसके लाभ को देखते हुए नमामि गंगे एवं ग्रामीण जलापूर्ति विभाग के अपर मुख्य सचिव अनुराग श्रीवास्तव को जानकारी दी गई।
जिसके बाद उन्होंने इन नई विधि से सोनभद्र में पेयजल की चुनौतियों से निपटने का निर्णय लिया और फ्लोटिंग इण्टेक सिस्टम का कार्य प्रारंभ किया गया।
सोनभद्र में भूमिगत जल में अशुद्धियां और कम जलस्तर थी समस्या
जनपद-सोनभद्र क्षेत्रफल की दृष्टि से यूपी का दूसरा सबसे बड़ा जिला है, जो 4 राज्यों मध्य प्रदेश, झारखण्ड, छत्तीसगढ़ एवं बिहार से घिरा हुआ है। सोनभद्र का 50 प्रतिशत भाग पहाड़ी एवं पथरीला होने के कारण भूमिगत जल में अशुद्धिया एवं जलस्तर कम है।
और क्या थीं चुनौतियां
- जनपद-सोनभद्र का क्षेत्र पहाड़ी है
- एप्रोच रोड एवं कॉफर डैम बनाने के लिए मिट्टी उपलब्ध होना कठिन
- पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण बांध का धरातल पथरीला है
- पथरीले स्थान होने के कारण योजना में अत्यधिक समय लगने के साथ खर्चीला भी है
- इन बातों को ध्यान में रखते हुए नई तकनीकी का उपयोग किया गया, जिसे फ्लोटिंग इण्टेक कहा जाता है
- फ्लोटिंग इण्टेक यूनिट का निर्माण पम्प स्टेशन को पानी की सतह पर रखकर और उस तक जाने वाली पाईप लाईन को फ्लोटिंग ब्रिज या वे लाईन से जोड़कर किया जाता है
फ्लोटिंग इण्टेक सिस्टम की खूबियां
यह संरचना जल कि सतह पर तैरती रहती है, जिस कारण इसे आसानी से अत्यधिक जल की उपलब्धता वाले स्थान पर स्थानान्तरीत किया जा सकता है।. जिन स्थानों पर वॉटर बेसिन के अन्दर पत्थर या चट्टाने पायी जाती है वहाँ पारम्परिक इण्टेकवेल का निर्माण किया जाना अत्यधिक कठिन होता है।
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ऐसे स्थानों के लिए फ्लोटिंग इण्टेक सिस्टम एक मात्र आसान विकल्प है। इस संरचना के निर्माण एवं रख रखाव की लागत पारम्परीक इण्टेकवेल से कम है। इस संरचना द्वारा सतही जल निरन्तर प्राप्त किया जा सकता है।
वाटर बेसिन में जल की मात्रा अत्यधिक होने या कम होने पर भी आहरीत जल की गुणवत्ता पर कोई प्रभाव नही पड़ता है। फ्लोटिंग इण्टेक सिस्टम में लगने वाली पाईप लाईन को फ्लोटिंग ब्रीज या वे लाईन से जोड़कर एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाया जाता है, जिसमे किसी प्रकार के चैम्बर एवं ट्रैन्च खुदाई की आवश्यकता नही होती है। जिस कारण से पाईप लाईन का रख रखाव कम खर्चीला एवं आसान होता है।