मुस्लिम समुदाय की समस्या, विपक्षियों की खामोशी, एमपीएलबीआई ने उठाए सवाल 

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लखनऊ। मुस्लिम समुदाय की लगभग सभी समस्याओं और उत्पीड़न पर विपक्षी दल लगातार मौन धारण कर फांसीवादी ताकतों को एक तरह से हौसला जाने या अनजाने में क्यो दे रहे है? देश की संवैधानिक व्यवस्था व लोकतंत्र पूरी तरह से खतरे के निशान के निकट खड़ी है।

उसके बाद हमारे पूरे वोट लेकर भी विपक्षी दल विशेषकर उत्तरप्रदेश में समाजवादी पार्टी को न हमारे समुदाय की चिंता है न खत्म होते लोकतंत्र की। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ऑफ इंडिया (एमपीएलबीआई) ने कहा हमारा वोट लेकर भी कभी बसपा सुप्रीमो तो कभी सपा सुप्रीमो अपनी पराजय का ठीकरा हमारे समुदाय पर फोड़ते है।

यह दोहरी राजनीति का शिकार भी हमारे भी हमारे समुदाय को बनाया जाता है जबकि नेतृत्व व रणनीति में यह पार्टियां हमारे समुदाय के अपने ही नेताओ को सहभागी नही बनाते।

बोर्ड के राष्ट्रीय महासचिव डॉ मोइन अहमद खान ने कहा कि जनता के मतों से सदन में बैठे लोग ट्रिपल तलाक, सीएए, एनआरसी जैसे कानूनों के विरोध में मुखर नही हुए अब1991 के धर्मस्थल अधिनियम व वक़्फ़ अधिनियम को खत्म करने में लगी भाजपा के विरुद्ध भी मुखर होने से कतरा रहे है।

हमारी संवैधानिक आजादी व अधिकार समाप्त करने में कोई कसर नही छोड़ी जा रही है आखिर ऐसा क्यों कर रहे विपक्षी दल। फांसीवादी ताकतों के विरुद्ध सदन में विपक्षी दल मौन लगातार मौन धारण किये रहते है उंन्होने कहा कि सपा सुप्रीमो लगातार अपने नेतृत्व में चुनाव हार रहे है वह विजय प्राप्त करने में असमर्थ है।

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यही स्थित बसपा सुप्रीमो की है,उंन्होने अखिलेश यादव को सलाह देते कहा कि  उन्हें चाहिये कि अब वह अपनी जगह आज़म खान जैसे कद्दावर नेता को पार्टी का नेतृत्व सौंपकर सड़क पर उतरे क्योंकि जब संविधान लोकतंत्र नही रहेगा तो विपक्षी दलों की भूमिका भी समाप्त हो जाएगी।

बोर्ड महासचिव डॉ मोइन खान ने कहा कि संविधान व लोकतंत्र खतरे में है यदि सपा,बसपा व कांग्रेस अपनी भूमिका का नैतिकता के साथ निर्वहन नही करते तो फिर जनता को सड़को पर उतरना उसकी विवशता होगी इसके लिये फिर बोर्ड राष्ट्रीय स्तर पर रणनीति बनाने का प्रयास सामाजिक संगठनों को लामबंद कर करेगा।

बोर्ड इस इस सम्बन्ध में भाजपा को छोड़कर सभी राजीतिक दलों को पत्र लिखने के साथ उनके जवाब का इंतज़ार करेगा सकारात्मक उत्तर नही मिलने पर आगे की रणनीति पर चलेगा।

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