लखनऊ : सीएसआईआर-केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान लखनऊ (सीडीआरआई) ने हेल्थकेयर में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए इन्नोहेल्थ पर एक नई व्याख्यान श्रृंखला शुरू की।
संस्थान ने स्वास्थ्य देखभाल नवाचारों को आगे बढ़ाने में कृत्रिम मेधा (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस/एआई) के गहन प्रभाव पर एक विचारोन्मुख व्याख्यान का आयोजन किया।
सीडीआरआई ने हेल्थकेयर में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए “इन्नोहेल्थ” पर व्याख्यान
इस व्याख्यानमाला के प्रथम वक्ता, आईआईआईटी-दिल्ली में कम्प्यूटेशनल बायोलॉजी एवं कंप्यूटर साइंस विभाग के एक प्रतिष्ठित एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. देबार्का सेनगुप्ता थे। डॉ. सेनगुप्ता इंफोसिस सेंटर फॉर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का भी नेतृत्व करते हैं।
सीएसआईआर-सीडीआरआई लखनऊ के मुख्य सभागार में आयोजित व्याख्यान में संस्थान की निदेशक डॉ. राधा रंगराजन ने डॉ. देबार्का सेनगुप्ता का स्वागत किया और नवाचारों को आगे बढ़ाने में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के व्याख्यान के प्रति अपना उत्साह व्यक्त किया।
यह कार्यक्रम स्वास्थ्य देखभाल नवाचारों में तेजी लाने में कृत्रिम मेधा (एआई) की बहुमुखी भूमिका को उजागर करने पर केंद्रित था, जो समकालीन चिकित्सा परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण एवं प्रासंगिक विषय है।
अपनी आकर्षक एवं विचारपरक व्याख्यान के दौरान, डॉ. देबार्का सेनगुप्ता ने इस बात पर प्रकाश डाला कि किस तरह से कृत्रिम मेधा (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में बदलाव ला रहा है।
अपनी विषय विशेषज्ञता का उपयोग करते हुए, उन्होंने निदान, उपचार प्रोटोकॉल और औषधि खोज प्रक्रियाओं में क्रांति लाने के लिए एआई की क्षमता पर प्रकाश डाला। वार्ता ने वर्तमान परिदृश्य और संभावित भविष्य के विकास का एक व्यापक अवलोकन प्रदान किया, जिससे उपस्थित लोगों के बीच एक जीवंत चर्चा शुरू हुई।
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डॉ. सेनगुप्ता की शानदार व्याख्यान के बाद, डॉ. राधा रंगराजन ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में आज के व्याख्यान पर अपने विचार दिए, जिसमें उन्होमे स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में तकनीकी प्रगति में आगे रहने के लिए संस्थान की प्रतिबद्धता पर भी जोर दिया।
उन्होने एआई को स्वास्थ्य देखभाल अनुसंधान एवं अभ्यास में एकीकृत करने हेतु सहयोगात्मक प्रयासों के महत्व को भी रेखांकित किया। कार्यक्रम का समापन करते हुए, डॉ. दीपक दत्ता ने अपनी विशेषज्ञता साझा करने के लिए डॉ. सेनगुप्ता को धन्यवाद दिया
और साथ ही सभी प्रतिभागियों को इस व्याख्यानमाला में उनकी सक्रिय भागीदारी के लिए हार्दिक धन्यवाद दिया। डॉ. दत्ता ने नवाचार और ज्ञान प्रसार को बढ़ावा देने में ऐसे बौद्धिक आदान-प्रदान मंचों की अवश्यक्त एवं उनके महत्व को भी दोहराया।