संघर्षों से सफलता तक: लक्ष्मण उतेकर की प्रेरणादायक गाथा

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साभार : गूगल

‘छावा’ ने 800 करोड़ से अधिक कमाए। इस फिल्म ने डायरेक्टर लक्ष्मण उतेकर को उनके करियर की सबसे बड़ी हिट फिल्म दी। हालांकि, एक समय ऐसा भी था जब उन्हें कई छोटे-मोटे काम किए। उन्होंने अंडे बेचे, वड़ा पाव का ठेला लगाया और गणेश चतुर्थी पर अमीर लोगों की गणपति की मूर्तियों का विसर्जन किया.

निर्देशक का जन्म महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के एक छोटे से गांव में पैदा हुए थे। बचपन में ही उनके मामा उन्हें मुंबई ले आए। वहां उन्होंने बहुत छोटे-छोटे काम किए ताकि दो वक्त की रोटी जुटा सकें।

उन्होंने एक पॉडकास्ट में अपनी कहानी शेयर की। उन्होंने बताया कि 6 साल की उम्र में वे बार के बाहर उबले अंडे बेचते थे। बाद में शिवाजी पार्क में उन्होंने वड़ा पाव का ठेला लगाया, लेकिन बीएमसी ने उसे जब्त कर लिया।

गणेश चतुर्थी के दौरान लक्ष्मण उतेकर और उनके दोस्त अमीर लोगों के गणपति विसर्जन में मदद करते थे। अमीर लोग खुद मूर्ति लेकर पानी तक नहीं जाते थे, तो लक्ष्मण और उनके दोस्त मूर्ति लेकर विसर्जन कर देते और इसके बदले 5 रुपए लेते। इसमें से 2.50 रुपए उन्हें मिलते।

उन्होंने ये भी बताया कि एक दिन उन्होंने अखबार में फिल्म स्टूडियो की सफाई की नौकरी का विज्ञापन देखा और वे वहां झाड़ू-पोंछा लगाने लगे। वे टॉयलेट तक साफ करते थे और इतनी ईमानदारी से काम करते थे कि उनके बॉस ने उनकी तारीफ की। वे स्टूडियो में चाय भी पहुंचाते थे और वहीं से उन्हें साउंड और एडिटिंग का काम सीखने में रुचि हुई।

धीरे-धीरे उन्होंने कार धोने, अखबार बेचने और पॉपकॉर्न तक बेचने जैसे कई काम किए। एक दिन उन्हें पता चला कि सहारा कंपनी नया स्टूडियो बना रही है। वे रोज उस जगह जाकर खड़े हो जाते। लोग रोज तीन महीने बाद एक दिन राजेंद्र सिंह चौहान नाम का एक आदमी आया। उसने पूछा कि वो रोज यहां क्यों खड़े रहते हैं? लक्ष्मण बोले, “मैं यही सवाल सुनने के लिए तीन महीने से खड़ा हूं।” उसी दिन से उन्हें काम मिल गया।

इसके बाद उन्होंने सिनेमैटोग्राफर बिनोद प्रधान के साथ असिस्टेंट के तौर पर काम शुरू किया। फिर उन्होंने कई बड़ी फिल्मों की शूटिंग की, जैसे ‘हिंदी मीडियम’, ‘डियर जिंदगी’, ‘102 नॉट आउट’। निर्देशक के रूप में उन्होंने 2014 में मराठी फिल्म ‘टपाल’ से शुरुआत की। ‘छावा’ के अलावा उन्होंने ‘लुका छुपी’, ‘मिमी’ और ‘जरा हटके जरा बचके’ को डायरेक्ट किया।

गैंग्स ऑफ वासेपुर और देव डी बनाने वाले डायरेक्टर अनुराग कश्यप ने कुछ दिनों पहले फैंस को बताया था कि वो मुंबई छोड़ रहे हैं।

उन्होंने कहा था कि बॉलीवुड बहुत टॉक्सिक हो गया है और हर चीज बॉक्स ऑफिस नंबर्स पर निर्भर करती है जिससे क्रिएटिव फ्रीडम के लिए बहुत कम जगह बचती है। अब छावा डायरेक्टर लक्ष्मण उतेकर ने अनुराग कश्यप के इस बयान का जवाब दिया है।

एक पॉडकास्ट में बातचीत के दौरान लक्ष्मण उतेकर ने अनुराग कश्यप के लिए कहा- “चले जाओ छोड़कर , बेशक चले जाओ, कोई जबरदस्ती नहीं कर रहा है।”

लक्ष्मण उतेकर ने कहा कि एक फिल्ममेकर के तौर पर आपको बढ़ना चाहिए, ना कि पास्ट में फंसे रहना चाहिए। उन्होंने कहा, “आज ऑडियंस के पास अपने फोन में दुनियाभर का सिनेमा है। वो आपसे ज्यादा अपडेटेड हैं। उन्हें पता है कि क्या देखना है और क्या नहीं। और हर तीन साल बाद, सिनेमा बदल रहा है, सिनेमेटोग्राफी बदल रही है, एडिटिंग, स्टोरीलाइन, कॉस्ट्यूम…सब बदल रहा है।”

उन्होंने आगे कहा, “आज 700-800 करोड़ तक बिजनेस कर रही हैं फिल्म्स…आप कैसे कह सकते हैं कि सिनेमा मर रहा है? आप कलेक्शन तो देखो बाहुबली का, आरआरआर का, पुष्पा का- 1200 करोड़ तक का कलेक्शन था। या छावा का। सेंसिबिलटी आपकी चेंज होनी चाहिए क्योंकि आप वहीं पर अटके हुए हो।”

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